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Monday, February 8, 2021

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भोपाल शहर में बेघरों की स्थिति बेहतर करने के लिए उनको विभिन्न योजनाओं से जोड़ने के प्रयास से किया गया एक दिवसीय परिचर्चा, नगर निगम अधिकारी ने माना बेघरों के भी बनने चाहिए दस्तावेज़





दिनांक 8 फ़रवरी 2021 को यूथ फॉर यूनिटी एंड वोलेंट्री एक्शन (युवा) संस्था की ओर से गाँधी भवन में भोपाल शहर में बेघर लोगों की स्थिति को समझने हेतु एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमे भोपाल शहर के बिभिन्न संस्था, संगठनों व बस्ती के साथियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भोपाल नगर निगम के एनयूएलएम प्रकोष्ठ से श्री महाराज सिंह ठाकुर जी भी चर्चा में शामिल रहे। कार्यक्रम के दौरान भोपाल में शहरी बेघरों के मुख्य मुद्दों व उनकी समस्याओं पर चर्चा की गयी, व युवा संस्था द्वारा 14 जनवरी को किए गये ‘नाइट विजिल' के प्रमुख निष्कर्षों को साझा किया गया। नाइट विजिल के दौरान रात में बेघरों के अलग अलग मुद्दों को रात 10 से 1 बजे के बीच उनसे मिलकर समझने की कोशिश की गयी थी। इन निष्कर्षों को नगर निगम के साथ साझा किया गया। जिसमें मुख्य रूप से यह कहा गया कि ‘दीनदयाल राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन 2013’ के दिशानिर्देशों के अनुसार भोपाल के आश्रय गृह (रैन बसेरों) में कई स्तर की कमियाँ देखी गयी हैं क्योंकि यह आश्रय स्थल केवल रुकने, सोने व भोजन करने के लिए नहीं बल्कि शहरी बेघरों के सर्वांगीन विकास के लिए आवश्यक है, व सप्रीम कोर्ट के आदेश व योजना के दिशानिर्देश के अनुसार सभी बेघरों के पास मौलिक पहचान के दस्तावेज़ जैसे ‘मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, राश कार्ड आदि बनाना आवश्यक है व इसके माध्यम से सामाजिक सुरक्षा व सरकारी आजीविका के प्रमुख योजनाओं से जोड़ना आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री महाराज सिंह ठाकुर ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया व यह आश्वासन दिया कि वह नगर निगम की ओर से शहरी बेघरों की पहचान करवा कर उनके दस्तावेज़ बनवाने के प्रयास किए जाएँगे, जिससे कि योजनाओं व सामाजिक सुरक्षा के लाभ बेघरों को मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जनसंख्या के अनुसार भोपाल में और भी रैन बसेरें होनी चाहिए व इसके लिए कम से कम पाँच और रैन बसेरे प्रस्तावित हैं जो आने वाले दो वर्षों में तैयार होने की सम्भावना है। इस पर उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद प्रतिभागियों से भी सुझाव देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश व NULM की गाइड लाइन में लिखा है कि हर शहर में प्रति एक लाख की आवादी ओर 100 लोगों के लिए एक 24 घंटे के लिए आश्रय स्थल होना चाहिए मगर भोपाल में उस हिसाब से 22 आश्रय स्थल होने चाहिए। यहाँ केबल 15 आश्रय स्थल दिखते है साथ ही | इसके अतिरिक्त श्री ठाकुर ने यह भी कहा कि आश्रय गृह किसी बेघर के लिए अंतिम पड़ाव नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे एक शुरुआत की तरह देखना चाहिए और अलग अलग प्रयासों से एक एक करके स्टेप बाय स्टेप काम करने की जरुरत है। उन्होंने युवा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि संस्थाओं को ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे सरकार को भी स्थिति समझने का मौक़ा मिल सके। इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद सभी प्रतिभागियों ने अपनी ओर से 8 सूत्रिय सुझाव रखा है, जिसे नगर निगम ने क्रियान्वयन में लाने का आश्वासन दिया है। 


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अंकित झा: 9716762839

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