सोशल एक्टिविस्ट डॉ. महेश यादव ( अमन गाँधी ) ने हिन्दी दिवस पर एक कविता लिख कर हिंदी का महत्व बताया और वीडियो के माध्यम से अफसोस जताया कि विश्व में चौथे स्थान पर बोली जाने वाली हिंदी भाषा को आज भी देश मे अधिकृत रुप से राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हैं जबकि हिंदी हमारे राष्ट्रगान में और देश के स्वाभिमान में है
हिंदी दिवस पर लिखी कविता निमलिखित है
शीर्षक
भारत माँ के,माथे की बिंदी
राष्ट्र की भाषा, मैं हूँ हिंदी
मीरा के गीत में हूँ
मोहन के संगीत में हुँ
प्रेमचंद की कलम मै हुँ
कबीर के हर छन्द में हूँ
भारत माँ के, माथे की बिंदी
देश की भाषा, मैं हूँ हिंदी
लब्जों का अंदाज़ हूँ
फिल्मो का संवाद हूँ
लेखकों की जान हूँ
देश की पहचान हूँ
भारत माँ के, माथे की बिंदी
वतन की भाषा, मैं हूँ हिंदी
लाचार नहीं समर्थ हूँ
शब्दों का सही अर्थ हूँ
एक दिवस का पर्व नही
राष्ट्र का गौरव हूँ
भारत माँ के, माथे की बिंदी
हिन्द की भाषा, मैं हूँ हिंदी
इतिहास के हर, किस्से में हुँ
दुनिया के कई, हिस्सों में हूँ
राष्ट्र के गान में हूँ
भारत का अभिमान हूँ
भारत माँ के माथे की बिंदी
भारतीय भाषा मैं हूँ हिंदी
लेखक-
डॉ. महेश यादव ( अमन गाँधी )