समरीन नकवी ने झीलों की नहरी कहा जाने वाला शहर भोपाल से तीन साल पहले कविताएं लिखने के शौकीन ने आज एक बड़ी कवयित्री का नाम दे दिया समरीन की शुरूआत कविताए लिखने से हुई पहली कविता बेटी पर लिखी जिसका शीषक है
बेटी बाप का अभिमान हाेती है
बेटी बाप की शान हाेती है
बेटी बाप के दिल के बहुत करीब हाेती है
बेटे बाप की ज़मीन बॉटते है ताे बेटियों बाप का दुख बॉटती है.
इस कविता से समरीन को एक एक नया नाम मिला ओर इस कविता से समरीन की बहुत तारीफे हुई जिसमें कई जगह समरीन का सम्मान भी हुआ
इसके बाद मासिक गोष्ठी का लिखने का काम मिला इसके बाद हर विधा पर कविता लिखती हूँ आैर पढ़ती हूँ यह ताे मुझे विरासत मे मिली है मेरे पापा भी लिखते थे मैने भी साेचा आैर लिखने लगी आैर अब हर एक विधा पर लिखती हूँ मेरी रचना 2019 मे सत्य की मशाल अल्लाहदीन के चिराग मे छपी थी जिसका शीर्षक सर सर सर सर सर्दी आई
गर्म काेट आैर स्वेटर लाई
पर गरीब पर आफत आई
गद्दा तकिया है रज़ाई छोटा स्वेटर लम्बा चेस्टर पहन रहे हैं चीफ मिनिस्टर दुबले पतले आधे नग्गे कॉप रहे है भिकमंग्गे आग जला कर कुछ राहत पा ली जैसे तैसे रात निकाली सुबह हुई आवाज़ ये आई हम मे से एक बूढ़ी ताई सब कुछ छाेड़ा काम दुहाई मरने पर भी चैन न पाया सर्दी मे उसके नहलाया अनजाने मे मात न आई सर्दी ने यह आफ़त ढाई
कवयित्री: समरीन नक़वी