भोपाल इस तालाबंदी में जहाँ लोग अपने घरों में वक़्त गुज़ार रहे थे, बल्कि अब भी कई जगहों पर पूर्ण रूप से तालाबंदी ही है, ऐसे में वे अपना वक़्त अपने मनपसंद काम को करके काट रहे हैं। इनमें ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें लिखने का शौक है और ऐसे भी लोग हैं जो पढ़ना पसंद करते हैं। इन दोनों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, जील इन्फ़िक्स पब्लिशिंग सर्विसेस ने अपनी सेवाएँ दी है। लेखकों को उनकी रचनायें प्रकाशित कर एवं पढ़ने वालों तक उन रचनाओं की इलेक्ट्रॉनिक वर्जन या ई-बुक पहुँचा कर। तालाबंदी के शुरुआती दिनों से ही
पब्लिकेशन ने अपनी तीन कविता संग्रह (फाग के राग, पन्ने सादे और सतरंगी से, तहरीरें उलझी-सुलझी सी) एक सेमिनार पेपर संग्रह (छत्तीसगढ़ी भाषा एवं साहित्य में युगीन चेतना का विकास) एवं एक लेखक जोड़ी की कविताएँ एवं कहानी संग्रह (हौसला...कुछ कर गुज़रने का), एवं गीली पगडंडी प्रकाशित की है। मौके, माह और माहौल के हिसाब से लिखे गए ये किस्से और कविताएँ लोगों को बहुत भा रहे हैं। उल्लेखनीय बात ये है कि ये रचनाकार भारत के अलग-अलग हिस्सों से हैं। अलग-अलग राज्य के इन लेखकों की शैली भी अलग है जो इन संग्रह को बहुत ही रोचक बनाता है। इन पुस्तकों पर न सिर्फ आम लोगों की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही बल्कि टीवी एवं फ़िल्मी दुनिया से जुड़े कुछ कलाकारों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर इन लेखकों आशीर्वाद दिया है। पब्लिशिंग की उक्त गतिविधियों से ना सिर्फ लेखक ही खुश हैं बल्कि पढ़ने वालों को भी ये रचनाएँ बहुत पसंद आ रही हैं। वहीं दूसरी तरफ जील इन्फ़िक्स पब्लिशिंग सर्विसेज अपने अन्य आगामी पुस्तकों के कार्य पूरा करने में व्यस्त हैं, मानसून के मध्य भारत पहुँचने के बाद जिनका का विमोचन अपेक्षित किया जाता है। तालाबंदी की वजह से प्रिंटिंग प्रेस कई जगहों में अपने काम शुरु कर पाने में असमर्थ हैं, जिससे पेपरबैक संस्करण कई जगहों पर धीरे-धीरे उपलब्ध हो रहे लेकिन कुछ जगहों पर अब भी पाठकों को इन प्रतियों के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। इस देरी के लिए जील इन्फ़िक्स पब्लिशिंग सर्विसेज खेद व्यक्त करता है, इस आश्वासन के साथ, चूँकि अब अनलॉक देशभर में लागू किया जा रहा है, पेपरबैक संस्करण में देरी की समस्या को जल्द दूर कर लिया जाएगा। तब तक लेखकों और पाठकों को शुभकामनाएँ एवं उनके स्वस्थ जीवन की कामना।