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Tuesday, October 15, 2019

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भोपाल मंत्रालयीन कर्मचारी संघ अपनी मागो को लेकर 16 अक्टूबर को मल्टीस्टोरी पार्किंग के सामने सुबह साढ़े दस बजे प्रर्दशन

मंत्रालयीन कर्मचारी संघ को अंततः विवश होकर आंदोलन की राह पर जाना पड़ा और चरणबद्ध आंदोलन का नोटिस लगा दिया गया है।   स्थिति बहुत चिंताजनक हो चुकी है।ये पराकाष्ठा ही कही जायेगी कि आज 10 माह बाद भी मंत्रालयीन कर्मचारियों के स्थाई प्रवेशपत्र नहीं बन सके। पिछले प्रवेशपत्रों की वैधता अवधि दिसंबर 2018 में समाप्त हो चुकी थी। तकनीकी रूप से सभी कर्मचारी आज की स्थिति में अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं।  मंत्रालयीन कर्मचारी संघ अपने सामाजिक सरोकारों के लिए भी जाना जाता है। मंत्रालय में कर्मचारी भर्ती हुए। हमने योजना बनाई कि हर नया कर्मचारी अपनी ज्वाइनिंग की याद में एक पौधा लगायेगा और अपने पूरे सेवाकाल में उस वृक्ष की देखभाल करेगा। इस तरह एक स्मृति वन तैयार होगा। कर्मचारी चाहे तो उसकी राशि के अनुसार वृक्ष उपलब्ध कराया जाएगा।इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के कार्यक्रम के लिए अपर सचिव श्री के.के.कातिया ने अनुमति जारी नहीं की और मानसून ही चला गया।  साढ़े तीन साल से पदोन्नतियां बंद हैं और सरकार चुपचाप है। कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है,उत्साह ख़त्म हो रहा है। परंतु, माननीय न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए कर्मचारियों का मनोबल बनाए रखने का कोई वैकल्पिक उपाय नहीं खोजा गया।  डिप्लोमा इंजीनियर्स साथियों के मामले में वेतनमान के अनुरूप पदनाम देने का विकल्प खोजा गया। उक्त विकल्प मंत्रालयीन अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए क्यों लागू नहीं हो सकता। विधानसभा निर्वाचन के समय वचन पत्र में लिपिकों को शिक्षकों के समान वेतनमान देने संबंधी बिंदु हमारे द्वारा शामिल कराया गया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को परिपत्र जारी कर निर्देश दिए कि वचन पत्र के बिंदुओं पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। हमने सूचना के अधिकार के तहत सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग से पूछा कि लिपिकों को शिक्षकों के समान वेतनमान देने संबंधी बिंदु पर की कार्रवाई की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराई जाये। सामान्य प्रशासन विभाग ने हमारा आवेदन पत्र वित्त विभाग को अंतरित कर दिया और वित्त विभाग ने हमें वित्त मंत्री जी के बजट भाषण की छपी छपाई प्रति भेज दी। कोई नोटशीट या पत्रव्यवहार की प्रति नहीं दी गई। इसका मतलब है कि कोई फाईल प्रचलन में नहीं है।
 दोहरे मापदंड अपनाये जा रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के दो कक्ष समान प्रकरण में अलग अलग निर्णय लेते हैं। तिलहन संघ के कर्मचारी मंत्रालय में मर्ज हुए और राज्य सूचना आयोग में भी मर्ज हुए। सामान्य प्रशासन विभाग (सूचना अधिकार प्रकोष्ठ) ने सूचना आयोग में मर्ज हुए लोगों को पांचवां, छटवां, सातवां वेतनमान दे दिया लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग (स्थापना शाखा) ने वही लाभ मंत्रालय में मर्ज हुए लोगों को देने से इंकार कर दिया। सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त और अन्य विभागों में मर्ज हुए तिलहन संघ के ही लोगों को भी उक्त लाभ दे दिया गया परन्तु सामान्य प्रशासन विभाग (स्थापना) तैयार नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा बनाई गई नीति के आधार पर सभी विभागों में कार्यरत श्रमिकों को स्थाईकर्मी का दर्जा दे दिया गया है परंतु सामान्य प्रशासन विभाग स्वयं अपने अधीन मंत्रालय में कार्यरत श्रमिकों को उक्त लाभ देने तैयार नहीं है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने लोकसेवा आयोग को अभिमत दिया कि स्थगन प्रभावशील होने के पूर्व जो डीपीसी हो चुकी थी उसमें आदेश जारी किए जा सकते हैं परंतु मंत्रालय में स्थगन के पूर्व जो डीपीसी हो चुकी थी उसमें सामान्य प्रशासन विभाग स्वयं आदेश जारी नहीं कर रहा है।ये कुछ उदाहरण हैं। विस्तृत मांग पत्र पीडीएफ फाइल के रूप इस पोस्ट के साथ संलग्न है।  आंदोलन के प्रथम चरण में कल 16 अक्टूबर को मल्टीस्टोरी पार्किंग के सामने सुबह साढ़े दस बजे प्रर्दशन
द्वितीय चरण में 22 अक्टूबर को मंत्रालय गेट नंबर एक के सामने एक दिवसीय धरना और सुंदर कांड का पाठ
तृतीय चरण में 08 नवंबर को सामूहिक अवकाश
 (प्रकाशन हेतु सादर प्रेषित)
           --इंजी सुधीर नायक
                  अध्यक्ष
  मंत्रालयीन कर्मचारी संघ

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