भोपाल। आज हर व्यक्ति हर चीज को जीतना चाहता है, बल्कि हमें हर पल को जीने की कोशिश करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को कहा था कि जिंदगी को जीतना नहीं, बल्कि जीना है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता में कभी यह नहीं कहा कि तुम किसी को मारो, बल्कि उन्होंने यह कहा कि युद्ध के लिए तैयार रहना है। जीवन में अच्छाई के साथ सच्चाई को चुनना सिखाती है गीता। यह बात कर्नाटक से पधारी राजयोगिनी वीणा बहन जी ने ब्रह्मा कुमारीज भोपाल के पांच दिवसीय स्वर्ण जयंती महोत्सव समापन समारोह में आयोजित गीता महासम्मेलन में कही।
उन्होंने कहा कि गीता हमें सिखाती है कि कभी भी पाप और झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार डालना चाहिए। गीता जीवन जीने का एक रास्ता है। गीता हमें सिखाती है कि जिंदगी जीने के लिए हैं जीतने के लिए नहीं। आप जिस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं, वहां धर्म से ही कर्म करो। आज व्यक्ति ने जीवन में धर्म अलग समय पर करता है और कर्म अलग समय पर करता है। वर्तमान समय में धर्म क्षेत्र और कर्म क्षेत्र को एकाकार करने की जरूरत है।कोई भी काम हम करते हैं भले ही वह सरकारी काम क्यों न हो भगवान का कार्य समझ कर करना चाहिए।
केवल गीता सुनने से या गीता पढ़ने मात्र से हमारा कल्याण नहीं होगा, बल्कि गीता में बताई गई श्रीमद् को अपने जीवन में अपनाना होगा और खुद गीता बनना पड़ेगा।केवल गीता सुनने से या गीता पढ़ने मात्र से हमारा कल्याण नहीं होगा, बल्कि गीता में बताई गई श्रीमद् को अपने जीवन में अपनाना होगा और खुद गीता बनना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि जीवन में हमें अच्छाई के साथ सच्चाई को भी चुनना है। गीता सिखाती सिखाती है कि अपने ऊपर से विश्वास कमजोर न हो। भगवान श्री कृष्ण ने कहां है कि इंसान को जीवन में कर्मशील होना चाहिए उसे हमेशा कर्म करने के लिए तत्पर रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करना चाहिए। राजयोगिनी वीणा दीदी ने कहा कि कर्म में योग शामिल करने से कर्मों में कुशलता आती है। प्रभु स्मार्ट करते हुए किए गए कर्म दिव्य और श्रेष्ठ होते हैं। यह संसार कर्म प्रधान है।अगर हमारे कर्म सात्विक और दूसरों के लिए सुखदाई होंगे तो हमें अपने कर्मों पर कभी भी प्रायश्चित नहीं करना पड़ेगा, बल्कि हमारे कर्म के अकाउंट में पुण्य और दुआएं जमा होंगी। जो हमें हमेशा सफलता और उन्नति की ओर अग्रसर करेंगे। इसलिए वर्तमान समय मैं हर एक व्यक्ति को अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें नित्य नए सुधार की कोशिश करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान में बहुत सारे भाई बहन ऐसे हैं जो बरसों से गीता ज्ञान के अनुसार अपने जीवन को जी रहे हैं और विश्व के सुधार और कल्याण में लगे हुए हैं। कई भाई बहनों का जीवन सफल हो गया हो गया है। गीता हमारा परमात्मा से सीधा संबंध जोड़ती है गीता में ही राजयोग का वर्णन है। गीता हमें सिखाती है कि कभी भी पाप और झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार डालना चाहिए। गीता जीवन जीने का एक रास्ता है। गीता हमें सिखाती है कि जिंदगी जीने के लिए हैं जीतने के लिए नहीं। आप जिस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं, वहां धर्म से ही कर्म करो। आज व्यक्ति ने जीवन में धर्म अलग समय पर करता है और कर्म अलग समय पर करता है। वर्तमान समय में धर्म क्षेत्र और कर्म क्षेत्र को एकाकार करने की जरूरत है।कोई भी काम हम करते हैं भले ही वह सरकारी काम क्यों न हो भगवान का कार्य समझ कर करना चाहिए। हर कार्य को श्रद्धा से, ईमानदारी से, इंसानियत से, अपनेपन से अंजाम देना चाहिए। गीता हमारी काउंसलिंग करती है। अगर हम गीता को ध्यान से पढ़ते हैं और जीवन में धारण करते हैं तो हमें किसी काउंसलर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और हमारा जीवन सुख शांति से संपन्न रहेगा।गीता महासम्मेलन में अतिथि के रूप में
ब्रह्माकुमारीज की जोनल डायरेक्टर बीके अवधेश बहनजी,
बीके दुर्गेश नंदिनी बहन जी, बीके दीपा बहन जी, ब्रह्माकुमारीज गुलमोहर सेवा केंद्र की प्रभारी डॉ बीके रीना बहन, विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह, भारतीय वन सेवा के अधिकारी शरद गौर, सीपी मुरसेनिया अभी पहुंचे। कार्यक्रम में सैकड़ों ब्रह्माकुमारी भाई बहन शामिल हुए