भोपाल
पुलिस में सुधार की दिशा में लगातार कार्य होते रहते है। आमतौर पर पुलिस शोध से ज्यादा अनुभवों के आधार पर कार्य करती है लेकिन बदलते परिवेश को देखते हुए आवश्यक हो गया है कि तथ्यात्मक शोधों के आधार पर नीति निर्धारण की जाएं। यह बात पुलिस महानिदेशक श्री ऋषि शुक्ला ने पीटीआरआई में ऊर्जा डेस्क के संयोजकों के दो दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम के समापन के दौरान कही।
कार्यक्रम में श्री शुक्ला ने कहा कि कई बार पीड़िताएं थाने में अपनी शिकायत लेकर आने में हिचकिचाती हैं। इसलिए ऊर्जा डेस्क एक प्रयास है महिलाओं को थानों में सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराने का । श्री शुक्ला ने कहा की मध्यप्रदेश पुलिस और जे-पाल के संयुक्त प्रयासों से ऊर्जा डेस्क की स्थापना की गई है । उन्होंने कहा कि इस डेस्क की स्थापना के पीछे हमारा उद्देश्य यही है कि उनकी अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि उर्जा डेस्क की स्थापना के लिए इसके पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे कर्मचारियों ने बहुत उत्साह के साथ काम किया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि मध्यप्रदेश पुलिस का यह प्रयास सफलता के सोपान तक पहुंचेगा।
इस अवसर पर अति. पुलिस महानिदेशक श्री मुकेश जैन ने कहा कि ऊर्जा डेस्क के इस शोध में महिला अपराध तथा उनके सहायता पहुंचाने के तरीके के संबंध में अवश्य ही कई तथ्यात्मक बातें सामने आएंगी । आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा जे-पाल के कोर्डिनेटर श्री अक्षय मंगला ने कहा पुलिस विकास का एक अहम हिस्सा है । उन्होंने कहा कि पुलिस को लेकर समाज में जो विचारधारा बनी है वह तथ्यात्मक नहीं है इसलिए आवश्यक है कि तथ्यों के आधार पर तुलनात्मक स्टडी पुलिस पर की जाएं। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता तथा मास्टर ट्रेनर श्रीमती आभा सिंह ने हेल्प डेस्क के संयोजकों की दो दिवसीय ट्रेनिंग की रूपरेखा के बारे में बताया । कार्यक्रम में जे-पाल के शोधकर्ता प्रो.संदीप सुथानकर ने संस्था के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में वर्जीनिया विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर सुश्री गेब्रियल क्रुक्स-विस्नर तथा पुलिस मुख्यालय के अति.पुलिस महानिदेशक एंव अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि यूएसए की मैसाच्यूट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी के शोध संस्थान अब्दुल जमील पावर्टी एक्शन लैब ( J-PAL) द्वारा प्रदेश में महिला अपराध के संबंध में शोध किया जा रहा है । इस संबंध में मध्यप्रदेश पुलिस सथा शोध संस्थान के बीच एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था । इस प्रोजेक्ट के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भोपाल के दो तथा वीदिशा के तीन थानों को चिन्हित कर वहां महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई थी । अब इस प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए प्रदेश के 12 जिलों के 180 चिन्हित थानों में में इसका विस्तार किया जा रहा है।