किसी के चले जाने से ज़िन्दगी खत्म नही होती...
हर एक रात की सुबह जरूर होती है...
अपना दायरा केवल अपने तक न रख के, दूसरों के लिये जी कर देखिये क्या मालूम किसी के लिए जीते हुए खुद बखुद ही आपकी सारी उलझने सुलझ जाएं और वो कोई गैर आप के अपने से भी अपना हो जाये।
केवल किस्से में ही नहीं, असल जिंदगी में भी उस मौके को पहचानिये, उस एक डर को जिसने आपको अपने में समेट रखा है, उस डर को जीत लेने का वो हौंसला, वो हिम्मत वो जज्बा, बस एक उसी पल के लिए ही तो है, जब आपको उस डर को जीत जाना है।
नोकझोंक से भरी, दुनियादारी की समझ बढ़ाती, किसी की चाहत में खुद को न्योछावर कर के भी न कह पाने का वो दर्द, मुश्किल वक़्त में किसी का हौसला बन जाने का वो सुकून...
और सिर्फ प्यार से सराबोर दो दिल..
ऐसे ही कई उलझते-सुलझते लम्हों की रवानी है, संगीता पाटीदार और जीवन यादव द्वारा लिखी गई पुस्तक में। जो इन दिनों बहुत लोकप्रिय हो रही है।
पढिये '42 डेज - धुंधले ख्वाब से तुम.. भीगी आंख सी मैं...'
हर एक रात की सुबह जरूर होती है...
अपना दायरा केवल अपने तक न रख के, दूसरों के लिये जी कर देखिये क्या मालूम किसी के लिए जीते हुए खुद बखुद ही आपकी सारी उलझने सुलझ जाएं और वो कोई गैर आप के अपने से भी अपना हो जाये।
केवल किस्से में ही नहीं, असल जिंदगी में भी उस मौके को पहचानिये, उस एक डर को जिसने आपको अपने में समेट रखा है, उस डर को जीत लेने का वो हौंसला, वो हिम्मत वो जज्बा, बस एक उसी पल के लिए ही तो है, जब आपको उस डर को जीत जाना है।
नोकझोंक से भरी, दुनियादारी की समझ बढ़ाती, किसी की चाहत में खुद को न्योछावर कर के भी न कह पाने का वो दर्द, मुश्किल वक़्त में किसी का हौसला बन जाने का वो सुकून...
और सिर्फ प्यार से सराबोर दो दिल..
ऐसे ही कई उलझते-सुलझते लम्हों की रवानी है, संगीता पाटीदार और जीवन यादव द्वारा लिखी गई पुस्तक में। जो इन दिनों बहुत लोकप्रिय हो रही है।
पढिये '42 डेज - धुंधले ख्वाब से तुम.. भीगी आंख सी मैं...'