नोटबंदी का एक साल पूरा हो गया है। मोदी सरकार अब ब्लैकमनी के खिलाफ अपने अभियान को और तेज करने के लिए तैयार है। इस बार मोदी सरकार के निशाने पर बेनामी प्रॉपर्टी है। केंद्र सरकार का मानना है कि बेनामी प्रॉपर्टी पर शिकंजा कसने से ब्लैकमनी रखने वाली बड़ी मछलियां कानून के शिकंजे में आएंगी। खास कर इससे बड़े नौकरशाह और नेता कानून के शिकंजे में फंस सकते हैं। इससे आम जनता में यह संदेश जाएगा कि सरकार सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि खास और बड़े लोगों पर भी ब्लैकमनी को लेकर कार्रवाई कर रही है विभाग ओर बेनामी प्रॉपर्टी पर फोकस कर रहा है। इसके लिए देश भर में बेनामी प्रॉपर्टी को लेकर सर्वे चल रहे हैं। सर्वे के आधार पर बेनामी प्रॉपर्टी की पहचान की जाएगी। इसके बाद विभाग इनकम टैक्स बेनामी प्रॉपर्टी धारकों के ख्रिलाफ एक्शन लेगा। अधिकारी के मुताबिक नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुए कैश डिपॉजिट से भी बेनामी की पहचान की जा रही है। हाल में लागू हुए बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के दायरे में बैंक में जमा पैसे को भी लाया गया है। यानी अगर कोई व्यक्ति दूसरे के अकाउंट में अपना पैसा जमा कराता है तो ऐसे मामले में पैसे के रियल ओनर और अपने अकाउंट में पैसा डिपॉजिट कराने वाले व्यक्ति के खिलाफ बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसीडेंट और सीए अमरजीत चोपड़ा ने बताया कि अगर सरकार बेनामी प्रॉपर्टी पर शिकंजा कसती है तो इससे निश्चित तौर पर नौकरशाह और नेता कानून के शिकंजे में आएंगे। भारत में ज्यादातर बेनामी प्रॉपर्टी नौकरशाह और नेताओं के पास है। ये लोग अपने नौकर, ड्राइवर या रिश्तेदारों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। बिजनेसमैन के पास बेनामी प्रॉपर्टी बहुत कम है
2019 आम चुनाव से पहले कुछ बडे नौकरशाहों और नेताओं पर बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत एक्शन होने से आम जनता में यह संदेश जाएगा कि सरकार ब्लैकमनी के खिलाफ लड़ाई में गंभीर है और सरकार कानून का उल्लंघन करने वाले हर व्यक्ति के खिलाफ एक्शन ले रही है। चाहे वह ताकतवर आदमी हो या आम आदमी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा है कि उनकी सरकार बेनामी प्रॉपर्टी वालों को खोज कर निकालेगी और जिसने भी गरीबों को लूटा है उनको बख्शा नहीं जाएगा।