मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा को मानहानि केस में शुक्रवार को कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई। उन पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
इस फैसले के 10 मिनट बाद उन्हें जमानत भी मिल गई। मिश्रा ने कहा कि वे फैसले से नाखुश हैं और इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। मिश्रा ने 3 साल पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। शिवराज ने कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ मानहानि केस फाइल किया था। बता दें कि सुनवाई के दौरान मिश्रा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सामने घोटाले से जुड़े पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाए।
- मानहानि केस में शुक्रवार दोपहर 3 बजे कोर्ट ने केके मिश्रा को दोषी करार दिया। 3.05 बजे दो साल की सजा के साथ उन पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। अगले 10 मिनट में यानी 3.15 बजे कोर्ट ने मिश्रा की बेल एप्लीकेशन मंजूर कर ली।
जमानत मिलने के बाद केके मिश्रा ने मीडिया से कहा, ''मैं कोर्ट के फैसले से नाखुश हूं। आखिरी दम तक लडूंगा और हाईकोर्ट में इसे चुनौती दूंगा। साफ करना चाहता हूं कि ऐसे कई फैसले भी भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मेरी आवाज को बंद नहीं कर पाएंगे। आज मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में और ताकत मिली है।''
- कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि वे एक नहीं, ऐसे 100-100 मानहानि के मुकदमे झेलने को तैयार हैं, क्योंकि कुछ भी झूठ नहीं बोला।
- कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, ''आखिरकार सत्य की जीत हुई। मैं कोर्ट के फैसले से खुश हूं। इस आरोप से मैं और मेरा परिवार काफी दुखी था।''
- कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने परिवहन आरक्षक भर्ती में सीएम की पत्नी साधना सिंह की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
- इसके बाद शिवराज सिंह ने कहा था, ''गोंदिया (महाराष्ट्र) से मेरी पत्नी के किसी भी रिश्तेदार को मध्य प्रदेश में परिवहन आरक्षक के लिए नहीं चुना गया। कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि गोंदिया से 17 लोगों को भर्ती किया गया है। ऐसे आधारहीन आरोप लगाने वाले कभी तथ्यों को जानने की कोशिश नहीं करते। कहा जा रहा है कि सीएम हाउस से 139 फोन करे गए। जबकि उनके द्वारा जारी की गई कॉल डिटेल में एक भी नंबर सीएम हाउस का नहीं है।''
- ''मैं जानता हूं कि हारने पर लोगों को तकलीफ होती है, खासकर दो-दो बार हारने पर। कुछ ही लोग हैं जो पार्टी की हार को गरिमा के साथ स्वीकार करते हैं। लेकिन, क्या इन लोगों को इतना नीचे गिर जाना चाहिए?''
- आईपीसी की धारा 500 और 501 लोगों के आत्मसम्मान की रक्षा करने के लिए बनाई गई है। इसमें किसी भी शख्स की ओर से बेबुनियाद बयान या लिखित तौर पर भ्रामक जानकारी फैलाने पर मानहानि केस फाइल किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर इसमें अधिकतम 2 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकता है