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Sunday, July 2, 2017

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भारत चीन बॉडर पर तनाव बड़ा भारत ने की सैनिको की तैनाती

1962 में भारत और चीन की जंग के बाद पहली बार भारत सिक्किम में अपनी फौजी तैनाती बढ़ाने जा रहा है। बता दें कि करीब एक महीने से सिक्किम से लगे चीन बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिकों में टकराव है। ये सैनिक नॉन कॉम्बेटिव मोड (जंग की पोजिशन में नहीं) में रहेंगे। बता दें कि चीन सिक्किम के डोंगलांग में सड़क बना रहा है। भारत ने इसका सख्त विरोध किया है। दूसरी तरफ, भूटान के नागरिकों के कुछ नागरिकों ने कहा है कि चीन जंग के हालात पैदा कर रहा है। 55 साल बाद इतना तनाव....
- भारत और चीन के बाद वैसे तो अरुणाचल और सिक्किम बॉर्डर पर कई बार तनाव रहा है। लेकिन, ये पहली बार हो रहा है कि भारत ने इस इलाके में फौजी तैनाती बढ़ाई है। माना जाता है कि तैनाती बढ़ाने का फैसला शनिवार को एक हाईलेवल मीटिंग में किया गया था। इसमें एनएसए और आर्मी चीफ भी मौजूद थे। 
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, जिन सैनिकों की तैनाती की जा रही है वो सभी नॉन कॉम्बेटिव मोड में रहेंगे। खास बात ये है कि 1962 की जंग के बाद पहली बार भारत ने चीन से लगे बॉर्डर एरिया में तैनाती बढ़ाई है। इंडियन एयरफोर्स ने अरुणाचल में पहले ही नए एयरबेस बना चुकी है।
- एक महीने से सिक्किम बॉर्डर पर भारत और चीन में तनाव है। दोनों देशों के सैनिकों की बहस भी हो चुकी है।  
भूटान के नागरिकों ने कहा- जंग के हालात पैदा कर रहा चीन
- न्यूज एजेंसी से बातचीत में भूटान के कुछ नागरिकों ने सिक्किम और भूटान के इलाके में सड़क बनाने को लेकर विरोध जताया। कहा- चीन इस इलाके में जंग के हालात पैदा कर रहा है। सी. सिंग्ये नाम के एक शख्स ने कहा- चीन भूल रहा है कि भूटान एक आजाद देश है, हमारे मामलों में दखल ठीक नहीं।
- सिंग्ये ने कहा- ये ठीक है कि हम एक छोटे देश हैं लेकिन कोई हमारी जमीन पर कब्जा करने को साजिश रचे, ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत बेहतर पड़ोसी है।
जेटली ने कहा था- ये 1962 का नहीं 2017 का भारत है
- चीन ने गुरुवार को धमकी दी थी कि भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए। इस पर अरुण जेटली ने जवाब में कहा था- 2017 का भारत, 1962 के भारत से अलग है। जेटली ने कहा था- चीन की नीति दूसरों की जमीन पर कब्जा करने की रही है। चीन जिस जमीन की बात कर रहा है उसका भारत से कोई लेना देना नहीं है।
- उन्होंने कहा था, "ये जमीन भूटान की है और भारत के बॉर्डर के नजदीक है। दोनों देशों में सुरक्षा देने की एक व्यवस्था है। भूटान ने खुद साफ कर दिया है कि यह उसकी जमीन है।"
चीन के साथ ताजा विवाद की 4 वजहें
1) सिक्किम सेक्टर में चीन का सड़क बनाना
- चीन ने सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग इलाके में सड़क बनाने को जायज ठहराया है। बीजिंग ने कहा है कि 1890 के सिनो-ब्रिटिश ट्रीटी के तहत यह एरिया उसके इलाके में आता है और इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है। डोंगलांग को डोकलाम इलाका भी कहते हैं। इस इलाके का एक हिस्सा भूटान के पास भी है। चीन का भारत के अलावा भूटान से भी इस इलाके को लेकर विवाद है। चीन-भूटान के बीच इस पर 24 बार बातचीत हो चुकी है।
2) चीन ने घुसपैठ की
- चीन की आर्मी ने हाल ही में सिक्किम सेक्टर में घुसने की कोशिश की और भारतीय जवानों से हाथापाई की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने हमारे 2 बंकर भी तोड़ दिए।
- सिक्किम के डोका ला जनरल एरिया में लालटेन पोस्ट के पास हुई इस घटना के दौरान चीनी सैनिकों को रोकने के लिए भारतीय सैनिकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। भारतीय सैनिकों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास ह्यूमन चेन बनाकर चीनियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे धक्का-मुक्की करते रहे।
3) फिर भारत पर ही आरोप लगाया
- चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लू कांग ने मंगलवार को कहा था, "अपने इलाके से हम कभी भी समझौता नहीं करेंगे। उम्मीद है कि भारत भी इसी दिशा में काम करेगा और तुरंत अपने उन जवानों को पीछे हटने को कहेगा, जिन्होंने चीन की सीमा में घुसपैठ की है।"
- इसके बाद चीन ने बीजिंग में मौजूद इंडियन हाई कमिश्नर के सामने और दिल्ली में अपने हाई कमिश्नर के जरिए विरोध दर्ज कराया।
4) सीमा विवाद को कैलाश मानसरोवर की यात्रा से जोड़ा
- चीन की तरफ से विवाद यहीं नहीं थमा। चीन ने कहा कि भारतीय सैनिक तुरंत पीछे हट जाएं। भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस टकराव का हल कैसे निकालता है?
- बता दें कि सीमा पर तनाव के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले 47 श्रद्धालुओं को चीन ने रोक दिया था और उन्हें गंगटोक वापस आना पड़ा था।

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