भोपाल 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनाव का काम देखने के लिए वरिष्ठ मंत्री गौरीशंकर शेजवार, उमाशंकर गुप्ता और विश्वास सारंग
को तैनात किया गया है। पहले इस काम की जिम्मेदारी संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के जिम्मे थी। पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग ने उन्हें अयोग्य ठहराया है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के वे अब राष्ट्रपति चुनाव में वोट भी नहीं डाल सकेंगे।
भाजपा विधायक दल की रविवार शाम को होने वाली बैठक में शेजवार, गुप्ता और सारंग विधायकों को राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रक्रिया के बारे में समझाएंगे ताकि विधायक पार्टी की नीति के हिसाब से एनडीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के पक्ष में वोट कर सकें।
इधर, शनिवार को दिन भर मंत्री नरोत्तम मिश्रा दिल्ली हाईकोर्ट में राहत पाने के लिए जूझते रहे। मिश्रा के वकीलों की ओर से कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से मुलाकात कर कर सिंगल बैंच के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दिए जाने के लिए पिटीशन दायर की गई, लेकिन पिटीशन सम्मिट नहीं हो सकी। अब रविवार को चीफ जस्टिस से मिलकर विशेष मामले को मानकर सुनवाई किए जाने की अपील की जाएगी।
फैसला लेने में पहले भी हुई देरी
पार्टी नेतृत्व फिलहाल नरोत्तम से इस्तीफा देने को नहीं कह रहा है ताकि वे खुद नैतिक आधार पर पद छोड़ दें। मंत्री से सांसद बने ज्ञानसिंह के मामले में भी यही हुआ था। उन्होंने भी छह महीने तक मंत्री पद नहीं छोड़ा था। सांसद बनने और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद भी वे मंत्री पद पर डंटे रहे। प्रदेश नेतृत्व इस्तीफा नहीं ले पाया। संवैधानिक प्रावधानों की मजबूरी न होती तो वे छह जून को भी इस्तीफा नहीं देते।
बताते हैं कि तीन मई को जीएसटी पर विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान ज्ञान सिंह ने शिवराज सरकार के लिए खासी मुश्किल पैदा कर दी थी। सदन का सदस्य न होने के बावजूद वे मंत्री के तौर पर बैठक में हिस्सा लेना चाहते थे। उस वक्त बड़ी मुश्किल से उन्हें सदन के बाहर रोक कर रखा गया। इधर नरोत्तम भी इस लड़ाई में सारे विकल्पों के समाप्त होने तक पद छोड़ने को राजी नहीं है।