कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल में मेस में बनाए जा रहे खाने को लेकर छात्राओं और वार्डन के बीच विवाद
की स्थिति बन गई है। छात्राओं की शिकायत है कि घटिया खाना दिया जा रहा है। दाल में सिर्फ पानी ही नजर आता है।
इसको लेकर आवाज उठाने वाली एक छात्रा सृष्टि उईके ने आरोप लगाया है कि वार्डन सरोज सत्संगी ने 1100 रुपए लेकर मामला दबाने की बात कही। छात्राओं ने मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन के अलावा सहायक आयुक्त आदिवासी को की। यहां से हॉस्टल की जांच का जिम्मा एसडीएम श्वेता पवार को दिया गया है।
हॉस्टल में करीब 100 छात्राएं रह रही हैं। पिछले साल से यहां पर मेस शुरू की गई है। अफसरों ने हॉस्टल में मेस समिति को संचालन की जिम्मेदारी सौंप रखी है। यहां पर समिति का गठन हो चुका है,l लेकिन वार्डन इसका पालन नहीं करा रही हैं। वो खुद ही मेस का संचालन करा रही हैं। हर साल करीब 10 लाख रुपए से ज्यादा का बजट मेस के लिए दिया जाता है। प्रत्येक छात्रा को करीब 1100 रुपए दिए जाने का प्रावधान है।
कुछ कर्मचारी करते हैं झाड़-फूंक
छात्राओं का आरोप है कि यहां के कुछ कर्मचारी छात्राओं को एक्जाम में पास होने के लिए झाड़ फूंक करने के लिए उकसाते हैं। कई छात्राएं इनके झांसे में भी आ चुकी हैं। हालांकि ऐसी छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में पास नहीं हो पाई।
छात्राओं का आरोप है कि यहां के कुछ कर्मचारी छात्राओं को एक्जाम में पास होने के लिए झाड़ फूंक करने के लिए उकसाते हैं। कई छात्राएं इनके झांसे में भी आ चुकी हैं। हालांकि ऐसी छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में पास नहीं हो पाई।
सूत्रों का कहना है कि यहां पर कुछ बाहरी छात्राओं से भी कहा गया था कि झाड़ फूंक करने के बाद उनको यहां पर रहने दिया जाएगा। हालांकि अभी तक उन छात्राओं को हॉस्टल में जगह नहीं मिली है।
रेगुलर छात्राएं ही रह सकती हैं
कमला नेहरु हॉस्टल में यूजी और पीजी करने वाली लड़कियों के प्रवेश के लिए एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, विधायक, हॉस्टल की वार्डन शामिल होती हैं। एक छात्रा पांच वर्ष तक रह सकती है। यदि वह फेल हो जाती है तो उसे हटाने की प्रक्रिया वार्डन की रिपोर्ट के आधार पर की जाती है। इतने जिम्मेदारों की मॉनीटरिंग होने के बाद भी हॉस्टल में अव्यवस्था का आलम बना हुआ है।
कमला नेहरु हॉस्टल में यूजी और पीजी करने वाली लड़कियों के प्रवेश के लिए एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, विधायक, हॉस्टल की वार्डन शामिल होती हैं। एक छात्रा पांच वर्ष तक रह सकती है। यदि वह फेल हो जाती है तो उसे हटाने की प्रक्रिया वार्डन की रिपोर्ट के आधार पर की जाती है। इतने जिम्मेदारों की मॉनीटरिंग होने के बाद भी हॉस्टल में अव्यवस्था का आलम बना हुआ है।