नई दिल्ली
जरा सोचिए कि अगर पतंग उड़ा रहे हों और इस दौरान पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई की बात करे कि आपके पास इसके लिए लाइसेंस नहीं है या फिर सड़क पर 10 रुपये मिले और उसे अथॉरिटी में जमा कराने की बाध्यता हो तो आपको हैरानी होगी कि ये कैसा कानून है। लेकिन यह असलियत है कि आजादी के 6 दशक बाद भी इस तरह के कानून अस्तित्व में बने हुए थे जबकि मौजूदा दौर में ये अपना औचित्य खो चुके हैं। ऐसे तमाम कानूनों को सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है। केंद्र सरकार ने पुराने पड़े 1200 कानून खत्म किए हैं, 1824 और खत्म किए जाएंगे।
पतंगबाजी के लिए परमिट होना जरूरी
80 साल पहले इंडियन एयरक्रॉप्ट ऐक्ट 1934 बनाया गया था। इसके तहत कानूनी प्रावधान किया गया था कि पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। यानी जिस तरह से प्लेन उड़ाने के लिए परमिट की जरूरत है उसी तरह से पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता है तो वह कानून का उल्लंघन है और कोई अगर इस तरह की पतंगबाजी में शामिल है या फिर पतंगबाजी उत्सव में शामिल होता है तो वह इंडियन एयरक्रॉफ्ट ऐक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। पुलिस बिना परमिट के पतंग उड़ाने के लिए कार्रवाई कर सकती है।
करंसी गिरी मिले तो अथॉरिटी को बताएं
10 रुपये के नोट को लेकर बना कानून हैरान करने वाला है। अगर सड़क पर 10 रुपये गिरे मिले तो उसके बारे में अथॉरिटी को इत्तला करने की अनिवार्यता है, नहीं तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया। ट्रेजर ऐक्ट में लिखा है कि यदि कोई 10 रुपये या ज्यादा की रकम गिरी हुई पाता है तो इसकी सूचना तुरंत आधिकारिक अथॉरिटी को दे।
गंगा में बोट चलाने के लिए दो आने का टैक्स
गंगा में बोट से फेरी लगाने वालों को टैक्स देना होता था। गंगा टोल ऐक्ट 1867 में टैक्स का प्रावधान किया गया था।
इंस्पेक्टर के दांत की सफाई का कानून100 साल पुराना एक ऐसा कानून भी है, जिसके तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर को दांत की सफाई करना अनिवार्य था यानी दांत चमचमाते होने चाहिए। एमवी ऐक्ट 1914 में आंध्र प्रदेश में ये कानूनी प्रावधान किया गया था कि इंस्पेक्टर को अपने दांत की चमक बरकरार रखनी है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो वे अयोग्य माने जाएंगे।
होटल में रूम रिजर्व रखने का कानूनदिल्ली होटल कंट्रोल ऑफ अकॉमडेशन ऐक्ट 1949 के तहत होटल को सरकारी मेहमानों के लिए 20 फीसदी कमरे रिजर्व रखने का प्रावधान बनाया गया था। वहीं घोड़ा गाड़ी के रेग्युलेशन के लिए कानून बनाया गया कि घोड़ा गाड़ी चलाने के लिए उसका लाइसेंस लेना जरूरी है। मद्रास कंपलसरी लेबर ऐक्ट 1858 में प्रावधान है कि जबरन लेबर कराया जा सकता है। लेकिन संविधान के तहत ये कानून अवैध है क्योंकि जबरन श्रम नहीं कराया जा सकता।
जरा सोचिए कि अगर पतंग उड़ा रहे हों और इस दौरान पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई की बात करे कि आपके पास इसके लिए लाइसेंस नहीं है या फिर सड़क पर 10 रुपये मिले और उसे अथॉरिटी में जमा कराने की बाध्यता हो तो आपको हैरानी होगी कि ये कैसा कानून है। लेकिन यह असलियत है कि आजादी के 6 दशक बाद भी इस तरह के कानून अस्तित्व में बने हुए थे जबकि मौजूदा दौर में ये अपना औचित्य खो चुके हैं। ऐसे तमाम कानूनों को सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है। केंद्र सरकार ने पुराने पड़े 1200 कानून खत्म किए हैं, 1824 और खत्म किए जाएंगे।
पतंगबाजी के लिए परमिट होना जरूरी
80 साल पहले इंडियन एयरक्रॉप्ट ऐक्ट 1934 बनाया गया था। इसके तहत कानूनी प्रावधान किया गया था कि पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। यानी जिस तरह से प्लेन उड़ाने के लिए परमिट की जरूरत है उसी तरह से पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता है तो वह कानून का उल्लंघन है और कोई अगर इस तरह की पतंगबाजी में शामिल है या फिर पतंगबाजी उत्सव में शामिल होता है तो वह इंडियन एयरक्रॉफ्ट ऐक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। पुलिस बिना परमिट के पतंग उड़ाने के लिए कार्रवाई कर सकती है।
करंसी गिरी मिले तो अथॉरिटी को बताएं
10 रुपये के नोट को लेकर बना कानून हैरान करने वाला है। अगर सड़क पर 10 रुपये गिरे मिले तो उसके बारे में अथॉरिटी को इत्तला करने की अनिवार्यता है, नहीं तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया। ट्रेजर ऐक्ट में लिखा है कि यदि कोई 10 रुपये या ज्यादा की रकम गिरी हुई पाता है तो इसकी सूचना तुरंत आधिकारिक अथॉरिटी को दे।
गंगा में बोट चलाने के लिए दो आने का टैक्स
गंगा में बोट से फेरी लगाने वालों को टैक्स देना होता था। गंगा टोल ऐक्ट 1867 में टैक्स का प्रावधान किया गया था।
इंस्पेक्टर के दांत की सफाई का कानून100 साल पुराना एक ऐसा कानून भी है, जिसके तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर को दांत की सफाई करना अनिवार्य था यानी दांत चमचमाते होने चाहिए। एमवी ऐक्ट 1914 में आंध्र प्रदेश में ये कानूनी प्रावधान किया गया था कि इंस्पेक्टर को अपने दांत की चमक बरकरार रखनी है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो वे अयोग्य माने जाएंगे।
होटल में रूम रिजर्व रखने का कानूनदिल्ली होटल कंट्रोल ऑफ अकॉमडेशन ऐक्ट 1949 के तहत होटल को सरकारी मेहमानों के लिए 20 फीसदी कमरे रिजर्व रखने का प्रावधान बनाया गया था। वहीं घोड़ा गाड़ी के रेग्युलेशन के लिए कानून बनाया गया कि घोड़ा गाड़ी चलाने के लिए उसका लाइसेंस लेना जरूरी है। मद्रास कंपलसरी लेबर ऐक्ट 1858 में प्रावधान है कि जबरन लेबर कराया जा सकता है। लेकिन संविधान के तहत ये कानून अवैध है क्योंकि जबरन श्रम नहीं कराया जा सकता।