भोपाल. एमपी के भोपाल में एलएनसीटी के आठ छात्र परीक्षा खत्म होने के बाद डैम पर पार्टी करने गए तो पार्टी, मातम में बदल गई। नहाने गए छात्र एक के बाद एक पानी में डूबते गए और लोग सिर्फ खड़े होकर मौत का तमाशा देखते रहे। क्या बताया चश्मदीदों ने...
-राजधानी के घोड़ापछाड़ डैम में नहाने गए तीन इंजीनियरिंग छात्र डूब गए
। इनमें से दो के शव पुलिस ने निकाल लिए हैं, तीसरे की तलाश जारी है।
-तीनों छात्र अपने पांच दोस्तों के साथ बीई फर्स्ट ईयर के सेकंड सेमेस्टर की परीक्षा खत्म होने के बाद डैम पर पार्टी करने गए थे।
-ग्रुप के तीन छात्र नहाते समय पानी में डूब गए। मृतकों में दो छात्र पीयूष रंजन और सोनू कुमार बिहार के रहने वाले हैं। नागदा के रहने वाले अंकित शर्मा का शव देर रात तक नहीं मिला था।
चश्मदीद: हम मदद के लिए पुकारते रहे, कोई नहीं आया
अंकित तैरना जानता था, वह डूबने लगा तो मैं बचाने भागा
-मृत्युंजय कुमार ने बताया कि हम आठ दोस्त परीक्षा के बाद काॅलेज से डैम पहुंचे थे। अभय का आॅपरेशन हुआ था इसलिए वह पानी में नहीं गया। डैम के किनारे पर ही हम मस्ती कर रहे थे।
-मृत्युंजय कुमार ने बताया कि हम आठ दोस्त परीक्षा के बाद काॅलेज से डैम पहुंचे थे। अभय का आॅपरेशन हुआ था इसलिए वह पानी में नहीं गया। डैम के किनारे पर ही हम मस्ती कर रहे थे।
-पीयूष और सोनू पानी में ही थे। हम पांच बाहर आ गए। अचानक दोनों डूबने लगे। आवाज लगाकर हमसे मदद मांगी।
-अंकित तैरना जानता था। वह उन्हें बचाने के लिए भागा, लेकिन वह भी डूबने लगा। उसे बचाने मैं भागा, मेरे पीछे-पीछे पारस पानी में कूद पड़ा।
-वह मुझे खींचकर लाया। हम मदद के लिए लोगों को पुकारते रहे, लेकिन कोई नहीं अाया।
मृत्युंजय काे तैरना नहीं आता, उसे नहीं पकड़ता तो वह भी डूब जाता
-पारस नायक ने बताया कि दोस्तों को डूबता देख हम लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। तभी अंकित उन्हें बचाने पानी में कूद गया।
-पारस नायक ने बताया कि दोस्तों को डूबता देख हम लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। तभी अंकित उन्हें बचाने पानी में कूद गया।
-अंकित ने बताया था कि वह तैरना जानता है। अंकित डूबने लगा तो मैंने देखा कि मृत्युंजय भी पानी की तरफ भाग रहा है। वह भी पानी में चला गया था।
-तभी मैं उसके पीछे भागा और उसे पकड़कर बाहर लाया। मृत्युंजय को तैरना नहीं आता था। उसे नहीं पकड़ते तो उसका बचना भी मुश्किल था।
-डैम पर कुछ अन्य लोग भी मौजूद थे, लेकिन वह भी दर्शक बनकर देखते रहे।