दिल्ली. मोदी सरकार को
ब्लैकमनी मामले में बड़ी
कामयाबी मिली है। स्विट्जरलैंड सरकार ने
फाइनेंशियल अकाउंट्स की जानकारियां भारत से साझा
करने को मंजूरी दे दी
। इसके तहत
स्विट्जरलैंड सरकार भारत और दूसरे देशों के बीच
फाइनेंशियल अकाउंट इन्फार्मेशन के ऑटोमेटिक एक्सचेंज होगा।
इससे संदिग्ध ब्लैकमनी की
जानकारी फौरन साझा की जा
सकेगी। हालांकि, स्विस सरकार ने ये कहा है कि इस
मामले में भारत और दूसरे देशों को सीक्रेसी
और डाटा सिक्युरिटी का सख्ती से पालन
करना होगा। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच ऑटोमैटिक
इन्फार्मेशन शेयरिंग 2019 से लागू होगी। इससे सरकार
ब्लैकमनी भारत वापस लाने में आसानी
होगी। क्या कहा स्विटजरलैंड ने ...
- स्विट्जरलैंड की ओर से ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ
इन्फॉर्मेशन (एईओआई) को लागू करते हुए स्विस फेडरल
कांउसिल ने कहा- इसे 2018 से लागू किए जाने की
योजना है। 2019 में पहले दौर की इन्फॉर्मेशन शेयर
की जाएगी।
- स्विट्जरलैंड की फेडरल काउंसिल ने वह
तारीख नोटिफाई की है, जबसे इन्फॉर्मेशन
का ऑटोमेटिक एक्सचेंज शुरू होगा। इस फैसले में रेफरेंडम
की जरूरत नहीं होगी।
- पहले ऑटोमैटिक एक्सचेंज से पहले स्विट्जरलैंड यह देखेगा
कि क्या भारत और दूसरे देश सीक्रेसी
और डाटा सिक्युरिटी स्टैंडर्ड को पूरा करता है।
- स्विस फेडरल काउंसिल यूरोपीय देशों के टॉप गवर्निंग
बॉडी है। काउंसिल ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन शेयरिंग लागू
किए जाने की सही तारीख के
बारे में भारत सरकार को जल्द जानकारी दे
देगी।
रेफरेंडम की जरूरत नहीं
होगी
- काउंसिल की शु्क्रवार को मीटिंग में
ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन को अप्रूव किया गया। इस फैसले के लिए
किसी रेफरेंडम की जरूरत नहीं
होगी। इसका मतलब यह है कि इस समझौते को लागू
करने में आगे कोई देरी नहीं
होगी।
- ब्लैकमनी के मसले पर भारत और स्विट्जरलैंड के
बीच लंबे समय से बहस चली आ
रही है।
- स्विट्जरलैंड को अनडिक्लेयर्ड इनकम डिपॉजिट करने का एक
सेफ हैवन माना जाता है। आरोप है कि कुछ भारतीयों
की ब्लैकमनी स्विस बैंकों में मौजूद है।
मोदी सरकार को मिली
कामयाबी
- स्विटजरलैंड की तरफ से इस फैसले पर मुहर दोनों
देशों के बीच लंबी बातचीत के
बाद लगी है।
- मोदी सरकार के लिए यह बड़ी
कामयाबी है, क्योंकि मोदी सरकार,
आखिरकार स्विस सरकार को ऑटोमैटिक फाइनेंशियल अकाउंट्स
इन्फॉर्मेशन शेयर करने पर सहमत कर सकी।
- नरेंद्र मोदी ने इस मसले को G20, OECD और
अन्य ग्लोबल ऑर्गनाइजेशंस के सामने मजबूती से
उठाया था।
MCAA के तहत लागू होगा AEOI
- इन्फॉर्मेशन का एक्सचेंज मल्टीलेटरल
कम्पीटेंट अथॉरिटी एग्रीमेंट
(एमसीएए) पर आधारित होगा। जिसे फाइनेंशियल
अकाउंट इन्फॉर्मेशन के एक्सचेंज के लिए लाया गया था। इसे
ऑर्गनाइजेशन फार इकोनॉमिक को-ऑपेशन एंड डेवलपमेंट
(ओईसीडी) की ओर से तैयार
किया गया है और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखा गया है।
- काउंसिल का कहना है कि डाटा के फर्स्ट एक्सचेंज से पहले
वह सिचुएशन रिपोर्ट तैयार करेगा, जो कि ऑन्टम 2019 तक लागू
हो पाएगा।
- काउंसिल के मुताबिक, इस दौरान वह इस बात की
पड़ताल करेगी कि इससे जुड़े देश समझौते के स्टैंडर्ड,
सीक्रेसी और डाटा सिक्युरिटी
की जरूरत को कितने प्रभावी
तरीके से पूरा करते हैं।
- काउंसिल का कहना है कि देशों और सभी बड़े
फाइनेंशियल सेंटर्स के बीच बराबर का अवसर मिलना
जरूरी है। फेडरल काउंसिल के लिए इसे तय करना
अहम है।
- बता दें, इस साल स्विट्जरलैंड ने 38 देशों, टेरेटरीज
के साथ एईओआई पेश किया है। इसमें सभी ईयू
मेम्बर शामिल है। साथ ही, इन देशों के लिए डाटा
एक्सचेंज 2018 में शुरू हो जाएगा
ब्लैकमनी मामले में बड़ी
कामयाबी मिली है। स्विट्जरलैंड सरकार ने
फाइनेंशियल अकाउंट्स की जानकारियां भारत से साझा
करने को मंजूरी दे दी
। इसके तहत
स्विट्जरलैंड सरकार भारत और दूसरे देशों के बीच
फाइनेंशियल अकाउंट इन्फार्मेशन के ऑटोमेटिक एक्सचेंज होगा।
इससे संदिग्ध ब्लैकमनी की
जानकारी फौरन साझा की जा
सकेगी। हालांकि, स्विस सरकार ने ये कहा है कि इस
मामले में भारत और दूसरे देशों को सीक्रेसी
और डाटा सिक्युरिटी का सख्ती से पालन
करना होगा। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच ऑटोमैटिक
इन्फार्मेशन शेयरिंग 2019 से लागू होगी। इससे सरकार
ब्लैकमनी भारत वापस लाने में आसानी
होगी। क्या कहा स्विटजरलैंड ने ...
- स्विट्जरलैंड की ओर से ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ
इन्फॉर्मेशन (एईओआई) को लागू करते हुए स्विस फेडरल
कांउसिल ने कहा- इसे 2018 से लागू किए जाने की
योजना है। 2019 में पहले दौर की इन्फॉर्मेशन शेयर
की जाएगी।
- स्विट्जरलैंड की फेडरल काउंसिल ने वह
तारीख नोटिफाई की है, जबसे इन्फॉर्मेशन
का ऑटोमेटिक एक्सचेंज शुरू होगा। इस फैसले में रेफरेंडम
की जरूरत नहीं होगी।
- पहले ऑटोमैटिक एक्सचेंज से पहले स्विट्जरलैंड यह देखेगा
कि क्या भारत और दूसरे देश सीक्रेसी
और डाटा सिक्युरिटी स्टैंडर्ड को पूरा करता है।
- स्विस फेडरल काउंसिल यूरोपीय देशों के टॉप गवर्निंग
बॉडी है। काउंसिल ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन शेयरिंग लागू
किए जाने की सही तारीख के
बारे में भारत सरकार को जल्द जानकारी दे
देगी।
रेफरेंडम की जरूरत नहीं
होगी
- काउंसिल की शु्क्रवार को मीटिंग में
ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन को अप्रूव किया गया। इस फैसले के लिए
किसी रेफरेंडम की जरूरत नहीं
होगी। इसका मतलब यह है कि इस समझौते को लागू
करने में आगे कोई देरी नहीं
होगी।
- ब्लैकमनी के मसले पर भारत और स्विट्जरलैंड के
बीच लंबे समय से बहस चली आ
रही है।
- स्विट्जरलैंड को अनडिक्लेयर्ड इनकम डिपॉजिट करने का एक
सेफ हैवन माना जाता है। आरोप है कि कुछ भारतीयों
की ब्लैकमनी स्विस बैंकों में मौजूद है।
मोदी सरकार को मिली
कामयाबी
- स्विटजरलैंड की तरफ से इस फैसले पर मुहर दोनों
देशों के बीच लंबी बातचीत के
बाद लगी है।
- मोदी सरकार के लिए यह बड़ी
कामयाबी है, क्योंकि मोदी सरकार,
आखिरकार स्विस सरकार को ऑटोमैटिक फाइनेंशियल अकाउंट्स
इन्फॉर्मेशन शेयर करने पर सहमत कर सकी।
- नरेंद्र मोदी ने इस मसले को G20, OECD और
अन्य ग्लोबल ऑर्गनाइजेशंस के सामने मजबूती से
उठाया था।
MCAA के तहत लागू होगा AEOI
- इन्फॉर्मेशन का एक्सचेंज मल्टीलेटरल
कम्पीटेंट अथॉरिटी एग्रीमेंट
(एमसीएए) पर आधारित होगा। जिसे फाइनेंशियल
अकाउंट इन्फॉर्मेशन के एक्सचेंज के लिए लाया गया था। इसे
ऑर्गनाइजेशन फार इकोनॉमिक को-ऑपेशन एंड डेवलपमेंट
(ओईसीडी) की ओर से तैयार
किया गया है और इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखा गया है।
- काउंसिल का कहना है कि डाटा के फर्स्ट एक्सचेंज से पहले
वह सिचुएशन रिपोर्ट तैयार करेगा, जो कि ऑन्टम 2019 तक लागू
हो पाएगा।
- काउंसिल के मुताबिक, इस दौरान वह इस बात की
पड़ताल करेगी कि इससे जुड़े देश समझौते के स्टैंडर्ड,
सीक्रेसी और डाटा सिक्युरिटी
की जरूरत को कितने प्रभावी
तरीके से पूरा करते हैं।
- काउंसिल का कहना है कि देशों और सभी बड़े
फाइनेंशियल सेंटर्स के बीच बराबर का अवसर मिलना
जरूरी है। फेडरल काउंसिल के लिए इसे तय करना
अहम है।
- बता दें, इस साल स्विट्जरलैंड ने 38 देशों, टेरेटरीज
के साथ एईओआई पेश किया है। इसमें सभी ईयू
मेम्बर शामिल है। साथ ही, इन देशों के लिए डाटा
एक्सचेंज 2018 में शुरू हो जाएगा