नई दिल्ली/बिजनौर. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल
लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सईद सादिक ने कहा है कि बोर्ड
अगले डेढ़ साल में तीन तलाक की
ट्रेडिशन खुद ही खत्म कर देगा। सरकार को इस
मामले में दखल देने की जरूरत नहीं
है। सोमवार रात यूपी के बिजनौर में हुए एक
प्रोग्राम में डॉ. सादिक ने कहा कि तीन तलाक
महिलाओं के साथ नाइंसाफी है। लेकिन यह मसला
मुस्लिम कम्युनिटी का है। मुस्लिामों को
बीफ न खाने की सलाह...
- सादिक ने मुस्लिमों को बीफ न खाने की
भी सलाह दी।
- उन्होंने कहा कि अगर सरकार देशभर में गोहत्या पर रोक
लगाने का कानून लाती है तो मुस्लिम उसका स्वागत
करेंगे।
- इस बयान से दो दिन पहले ही बोर्ड ने दावा किया
था कि साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाएं
शरीयत और तीन तलाक के सपोर्ट में
हैं।
- इसी बीच, तीन तलाक
और अयोध्या जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए बोर्ड ने 15-16
अप्रैल को बैठक बुलाई है।
तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं की
डिग्निटी पर असर डालता है: केंद्र ने SC से
कहा
- सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दी गई
लिखित दलील में केंद्र सरकार ने कहा कि
तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं की
डिग्निटी (गरिमा) और सोशल स्टेटस (सामाजिक
स्तर) पर असर डालता है।
- केंद्र ने यह भी कहा कि तीन तलाक
से मुस्लिम महिलाओं के कॉन्स्टीट्यूशन में मिले
उनके फंडामेंटल राइट्स की अनदेखी
होती है। ये रस्में मुस्लिम महिलाओं को
उनकी कम्युनिटी के पुरुषों और
दूसरी कम्युनिटी की
महिलाओं के मुकाबले कमजोर बना देती हैं।
- बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक
खत्म हो या नहीं इस मुद्दे पर 11 मई से सुनवाई
करेगा।
केंद्र ने और क्या कहा अपनी
दलील में?
- सरकार ने कोर्ट में कहा कि भारत की
आबादी में मुस्लिम महिलाओं की
हिस्सेदारी 8% है।। देश की ये
आबादी सोशली और
इकोनॉमिकली बेहद अनसेफ है।
- सरकार ने साफ किया कि महिलाओं की
डिग्निटी से कोई कम्प्रोमाइज नहीं हो
सकती।
- केंद्र ने अपनी दलीलों में आगे कहा,
"लैंगिक असमानता का बाकी समुदाय पर
दूरगामी असर होता है। यह बराबर की
साझेदारी को रोकती है और आधुनिक
संविधान में दिए गए हक से भी रोकती
है।"
- सरकार ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में 60 साल से
ज्यादा वक्त से सुधार नहीं हुए हैं और मुस्लिम
महिलाएं फौरन तलाक के डर से बेहद कमजोर बनी
रहीं।
- केंद्र ने कहा, "यह कहना सच हो सकता है कि
तीन तलाक और एक से ज्यादा शादियों का असर
कुछ ही महिलाओं पर होता है, लेकिन एक
हकीकत यह भी है कि
लॉ बोर्ड के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सईद सादिक ने कहा है कि बोर्ड
अगले डेढ़ साल में तीन तलाक की
ट्रेडिशन खुद ही खत्म कर देगा। सरकार को इस
मामले में दखल देने की जरूरत नहीं
है। सोमवार रात यूपी के बिजनौर में हुए एक
प्रोग्राम में डॉ. सादिक ने कहा कि तीन तलाक
महिलाओं के साथ नाइंसाफी है। लेकिन यह मसला
मुस्लिम कम्युनिटी का है। मुस्लिामों को
बीफ न खाने की सलाह...
- सादिक ने मुस्लिमों को बीफ न खाने की
भी सलाह दी।
- उन्होंने कहा कि अगर सरकार देशभर में गोहत्या पर रोक
लगाने का कानून लाती है तो मुस्लिम उसका स्वागत
करेंगे।
- इस बयान से दो दिन पहले ही बोर्ड ने दावा किया
था कि साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाएं
शरीयत और तीन तलाक के सपोर्ट में
हैं।
- इसी बीच, तीन तलाक
और अयोध्या जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए बोर्ड ने 15-16
अप्रैल को बैठक बुलाई है।
तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं की
डिग्निटी पर असर डालता है: केंद्र ने SC से
कहा
- सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दी गई
लिखित दलील में केंद्र सरकार ने कहा कि
तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं की
डिग्निटी (गरिमा) और सोशल स्टेटस (सामाजिक
स्तर) पर असर डालता है।
- केंद्र ने यह भी कहा कि तीन तलाक
से मुस्लिम महिलाओं के कॉन्स्टीट्यूशन में मिले
उनके फंडामेंटल राइट्स की अनदेखी
होती है। ये रस्में मुस्लिम महिलाओं को
उनकी कम्युनिटी के पुरुषों और
दूसरी कम्युनिटी की
महिलाओं के मुकाबले कमजोर बना देती हैं।
- बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक
खत्म हो या नहीं इस मुद्दे पर 11 मई से सुनवाई
करेगा।
केंद्र ने और क्या कहा अपनी
दलील में?
- सरकार ने कोर्ट में कहा कि भारत की
आबादी में मुस्लिम महिलाओं की
हिस्सेदारी 8% है।। देश की ये
आबादी सोशली और
इकोनॉमिकली बेहद अनसेफ है।
- सरकार ने साफ किया कि महिलाओं की
डिग्निटी से कोई कम्प्रोमाइज नहीं हो
सकती।
- केंद्र ने अपनी दलीलों में आगे कहा,
"लैंगिक असमानता का बाकी समुदाय पर
दूरगामी असर होता है। यह बराबर की
साझेदारी को रोकती है और आधुनिक
संविधान में दिए गए हक से भी रोकती
है।"
- सरकार ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में 60 साल से
ज्यादा वक्त से सुधार नहीं हुए हैं और मुस्लिम
महिलाएं फौरन तलाक के डर से बेहद कमजोर बनी
रहीं।
- केंद्र ने कहा, "यह कहना सच हो सकता है कि
तीन तलाक और एक से ज्यादा शादियों का असर
कुछ ही महिलाओं पर होता है, लेकिन एक
हकीकत यह भी है कि