लखनऊ. यूपी असेंबली इलेक्शन में
बीजेपी ने बड़ी
जीत दर्ज की। 312 सीटें
जीतकर सत्ता में बीजेपी
के वापसी करने से यहां के कई बड़े नेताओं के
सियासी कॅरियर पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
दरअसल,2018 में राज्यसभा और एमएलसी के
इलेक्शन होने हैं। ऐसे में अब बसपा अपनी
सीटों के बल पर मायावती को राज्यसभा
सांसद भी नहीं बना
सकेगी। वहीं,अखिलेश यादव या तो
एमएलसी बनेंगे या वे राज्यसभा जा सकते हैं। ये है
राज्यसभा और एमएलसी के लिए चुने जाने का
गणित...
-34 विधायक एक राज्यसभा सांसद को चुनते हैं।
-36 विधायक एक एमएलसी को चुनते हैं।
मायावती नहीं जा सकेंगी
राज्यसभा
-2 अप्रैल 2018 को राज्यसभा की 10
सीटें खाली हो रही हैं।
इसमें एक सीट मायावती
की है। बीएसपी से
ही राज्यसभा सांसद मुनकाद अली का
भी टैन्योर खत्म हो रहा है।
-राज्यसभा में मायावती और मुनकाद
अली को मिलाकर बीएसपी
के 6 सांसद हैं। 2 अप्रैल 2018 के बाद 4 बचेंगे। 2017 में
सिर्फ 19 सीट पर सिमटने वाली
बीएसपी अब मायावती को
राज्यसभा भी नहीं भेज
पाएगी।
-यही नहीं,5 मई 2018 को
यूपी विधानपरिषद की भी
13 सीटें खाली हो रही
हैं,लेकिन मायावती 2017 के विधायकों के नंबर के
आधार पर वहां भी नहीं जा
पाएंगी।
-5 मई 2018 को बसपा के डॉ.विजय प्रताप,सुनील
कुमार और ठाकुर जयवीर सिंह का कार्यकाल
भी खत्म हो रहा है।
अखिलेश फिर बनेंगे एमएलसी या जा सकते हैं
राज्यसभा
-5 मई 2018 को एमएलसी अखिलेश यादव सहित
13 सीटें खाली हो रही
हैं,जबकि 2 अप्रैल 2018 में ही राज्यसभा
की 10 सीट खाली हो
जाएंगी। ऐसे में सपा को मिली 47
सीटें देखकर माना जा रहा है कि इस बार राज्यसभा
और विधानपरिषद में सपा एक-एक कैंडिडेट ही भेज
पाएगी।
-अब अखिलेश को तय करना होगा कि वह राज्यसभा जाएंगे या
फिर एमएलसी बनेंगे।
-अभी राज्यसभा में सपा के 18 सदस्य राज्यसभा
सांसद हैं,लेकिन 2 अप्रैल 2018 के बाद 6 सदस्यों नरेश
अग्रवाल,जया बच्चन,किरनमय नंदा,दर्शन सिंह
यादव,चौधरी मुनव्वर सलीम और
आलोक तिवारी का टैन्योर खत्म हो जाएगा। ऐसे में
47 सीट पाने वाली सपा अब एक
ही सदस्य को राज्यसभा भेज पाएगी।
-अगर कांग्रेस-7,रालोद-1,निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम
दल-1 और निर्दलीय-3(47+7+1+1+3=59(1
राज्यसभा सदस्य के लिए 34 विधायकों का सपोर्ट चाहिए)सपोर्ट
भी करते हैं,तब भी सपा को 2 सदस्य
राज्यसभा भेजने के लिए 9 विधायकों की और जरूरत
पड़ेगी।
-यही पेंच एमएलसी चुनावों में
भी फंसेगा। 5 मई को खाली हो
रही 13 सीट पर अभी
सपा के अखिलेश यादव,अम्बिका चौधरी,उमर
अली खान,नरेश उत्तम,मधु गुप्ता,राजेंद्र
चौधरी,राम सकल गुर्जर और विजय यादव हैं।
यूपी विधानपरिषद में अभी सपा के 67
मेंबर्स हैं।
कांग्रेस के पास नहीं है कोई ऑप्शन
-2018 में राज्यसभा और यूपी विधानपरिषद में
अपना सदस्य भेजने के लिए कांग्रेस के पास कोई ऑप्शन
नहीं बचा है।
-दरअसल,कांग्रेस के खाते में 2017 में सिर्फ 7
सीटें आईं। इस बार कांग्रेस के प्रमोद
तिवारी का टैन्योर खत्म हो रहा है। लेकिन दोबारा
जाने के लिए कांग्रेस के पास जरूरी विधायक
ही नहीं हैं।
-तिवारी पिछली बार भी सपा
के सपोर्ट से ही राज्यसभा पहुंचे थे। राज्यसभा में
कांग्रेस के 59 सदस्य हैं,जबकि यूपी विधानपरिषद
में 2 सदस्य हैं।
बीजेपी ने बड़ी
जीत दर्ज की। 312 सीटें
जीतकर सत्ता में बीजेपी
के वापसी करने से यहां के कई बड़े नेताओं के
सियासी कॅरियर पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
दरअसल,2018 में राज्यसभा और एमएलसी के
इलेक्शन होने हैं। ऐसे में अब बसपा अपनी
सीटों के बल पर मायावती को राज्यसभा
सांसद भी नहीं बना
सकेगी। वहीं,अखिलेश यादव या तो
एमएलसी बनेंगे या वे राज्यसभा जा सकते हैं। ये है
राज्यसभा और एमएलसी के लिए चुने जाने का
गणित...
-34 विधायक एक राज्यसभा सांसद को चुनते हैं।
-36 विधायक एक एमएलसी को चुनते हैं।
मायावती नहीं जा सकेंगी
राज्यसभा
-2 अप्रैल 2018 को राज्यसभा की 10
सीटें खाली हो रही हैं।
इसमें एक सीट मायावती
की है। बीएसपी से
ही राज्यसभा सांसद मुनकाद अली का
भी टैन्योर खत्म हो रहा है।
-राज्यसभा में मायावती और मुनकाद
अली को मिलाकर बीएसपी
के 6 सांसद हैं। 2 अप्रैल 2018 के बाद 4 बचेंगे। 2017 में
सिर्फ 19 सीट पर सिमटने वाली
बीएसपी अब मायावती को
राज्यसभा भी नहीं भेज
पाएगी।
-यही नहीं,5 मई 2018 को
यूपी विधानपरिषद की भी
13 सीटें खाली हो रही
हैं,लेकिन मायावती 2017 के विधायकों के नंबर के
आधार पर वहां भी नहीं जा
पाएंगी।
-5 मई 2018 को बसपा के डॉ.विजय प्रताप,सुनील
कुमार और ठाकुर जयवीर सिंह का कार्यकाल
भी खत्म हो रहा है।
अखिलेश फिर बनेंगे एमएलसी या जा सकते हैं
राज्यसभा
-5 मई 2018 को एमएलसी अखिलेश यादव सहित
13 सीटें खाली हो रही
हैं,जबकि 2 अप्रैल 2018 में ही राज्यसभा
की 10 सीट खाली हो
जाएंगी। ऐसे में सपा को मिली 47
सीटें देखकर माना जा रहा है कि इस बार राज्यसभा
और विधानपरिषद में सपा एक-एक कैंडिडेट ही भेज
पाएगी।
-अब अखिलेश को तय करना होगा कि वह राज्यसभा जाएंगे या
फिर एमएलसी बनेंगे।
-अभी राज्यसभा में सपा के 18 सदस्य राज्यसभा
सांसद हैं,लेकिन 2 अप्रैल 2018 के बाद 6 सदस्यों नरेश
अग्रवाल,जया बच्चन,किरनमय नंदा,दर्शन सिंह
यादव,चौधरी मुनव्वर सलीम और
आलोक तिवारी का टैन्योर खत्म हो जाएगा। ऐसे में
47 सीट पाने वाली सपा अब एक
ही सदस्य को राज्यसभा भेज पाएगी।
-अगर कांग्रेस-7,रालोद-1,निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम
दल-1 और निर्दलीय-3(47+7+1+1+3=59(1
राज्यसभा सदस्य के लिए 34 विधायकों का सपोर्ट चाहिए)सपोर्ट
भी करते हैं,तब भी सपा को 2 सदस्य
राज्यसभा भेजने के लिए 9 विधायकों की और जरूरत
पड़ेगी।
-यही पेंच एमएलसी चुनावों में
भी फंसेगा। 5 मई को खाली हो
रही 13 सीट पर अभी
सपा के अखिलेश यादव,अम्बिका चौधरी,उमर
अली खान,नरेश उत्तम,मधु गुप्ता,राजेंद्र
चौधरी,राम सकल गुर्जर और विजय यादव हैं।
यूपी विधानपरिषद में अभी सपा के 67
मेंबर्स हैं।
कांग्रेस के पास नहीं है कोई ऑप्शन
-2018 में राज्यसभा और यूपी विधानपरिषद में
अपना सदस्य भेजने के लिए कांग्रेस के पास कोई ऑप्शन
नहीं बचा है।
-दरअसल,कांग्रेस के खाते में 2017 में सिर्फ 7
सीटें आईं। इस बार कांग्रेस के प्रमोद
तिवारी का टैन्योर खत्म हो रहा है। लेकिन दोबारा
जाने के लिए कांग्रेस के पास जरूरी विधायक
ही नहीं हैं।
-तिवारी पिछली बार भी सपा
के सपोर्ट से ही राज्यसभा पहुंचे थे। राज्यसभा में
कांग्रेस के 59 सदस्य हैं,जबकि यूपी विधानपरिषद
में 2 सदस्य हैं।