भोपाल।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के
आदेश-निर्देश के साथ-साथ पीईबी
की कार्रवाई के चलते किस डॉक्टर, शिक्षक,
आरक्षक, एसआई सहित अन्य को बर्खास्त करना हैं, का
निर्णय लिया जाएगा। लेकिन यह फैसला होली के
बाद लिया जाएगा।
दरअसल, आगामी 14 मार्च को चिकित्सा शिक्षा
विभाग द्वारा एक बैठक बुलाई गई हैं, जिसमें
पीईबी के साथ साथ अन्य विभागों के
अफसरों भी शामिल होंगे। बैठक में
सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के आदेश-निर्देश के साथ-
साथ पीईबी की कार्रवाई
की पर विचार करके यह फैसला किया जाएगा
की किसको बर्खास्त करना हैं।
फर्जीवाड़ा कर
एमबीबीएस में प्रवेश की
बात प्रमाणित होने पर 10 दिसंबर 2013 को चिकित्सा शिक्षा
विभाग ने एडमिशन निरस्त कर दिए थे। छात्रों ने इसे हाईकोर्ट
जबलपुर में चुनौती दी। अरुण शर्मा
बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश रिट पिटीशन के
फैसले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि
बर्खास्तगी से पहले छात्रों को सुनवाई का अवसर
नहीं दिया गया। इसलिए पुन: डीन या
व्यापमं इनके मामलों का परीक्षण करें जिसके बाद
हाईकोर्ट ने एडमिशन निरस्त करने के आदेश को रद्द कर
दिया। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा
में भी लगभग 60 ऐसे लोगों की
पहचान हुई थी, जिनका चयन ओएमआर
सीट में गड़बड़ी कर किया गया था।
गौरतलब हो की व्यापमं परीक्षाओं में
फर्जीवाड़े को लेकर सुप्रीम कोर्ट-
हाईकोर्ट ने कई आदेश जारी किए जिसके अनुसार
वर्ष 2000 से 2009 के बीच
पीएमटी के जरिए हुए एडमिशन
की जांच की गई औऱ जिसमें कई छात्रों
के नाम सामने आए। हालांकी दो साल पहले
ही हाईकोर्ट ने114 फर्जी डॉक्टरों के
एडमिशन निरस्त करने की बात कहीं
थी। मेडिकल के पीजी
पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए व्यापमं द्वारा प्री-
पीजी टेस्ट लिया जाता है, इसमें
भी 16 मेडिकल छात्रों ने गलत तरीके
से परीक्षा पास की थी।
इनके भी एडमिशन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट ने
निष्ठा अग्रवाल की पिटीशन पर व्यापमं
को निर्देश दिए थे कि पुन: इन मामलों की जांच कर
फैसला लिया जाए।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के
आदेश-निर्देश के साथ-साथ पीईबी
की कार्रवाई के चलते किस डॉक्टर, शिक्षक,
आरक्षक, एसआई सहित अन्य को बर्खास्त करना हैं, का
निर्णय लिया जाएगा। लेकिन यह फैसला होली के
बाद लिया जाएगा।
दरअसल, आगामी 14 मार्च को चिकित्सा शिक्षा
विभाग द्वारा एक बैठक बुलाई गई हैं, जिसमें
पीईबी के साथ साथ अन्य विभागों के
अफसरों भी शामिल होंगे। बैठक में
सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के आदेश-निर्देश के साथ-
साथ पीईबी की कार्रवाई
की पर विचार करके यह फैसला किया जाएगा
की किसको बर्खास्त करना हैं।
फर्जीवाड़ा कर
एमबीबीएस में प्रवेश की
बात प्रमाणित होने पर 10 दिसंबर 2013 को चिकित्सा शिक्षा
विभाग ने एडमिशन निरस्त कर दिए थे। छात्रों ने इसे हाईकोर्ट
जबलपुर में चुनौती दी। अरुण शर्मा
बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश रिट पिटीशन के
फैसले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि
बर्खास्तगी से पहले छात्रों को सुनवाई का अवसर
नहीं दिया गया। इसलिए पुन: डीन या
व्यापमं इनके मामलों का परीक्षण करें जिसके बाद
हाईकोर्ट ने एडमिशन निरस्त करने के आदेश को रद्द कर
दिया। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा
में भी लगभग 60 ऐसे लोगों की
पहचान हुई थी, जिनका चयन ओएमआर
सीट में गड़बड़ी कर किया गया था।
गौरतलब हो की व्यापमं परीक्षाओं में
फर्जीवाड़े को लेकर सुप्रीम कोर्ट-
हाईकोर्ट ने कई आदेश जारी किए जिसके अनुसार
वर्ष 2000 से 2009 के बीच
पीएमटी के जरिए हुए एडमिशन
की जांच की गई औऱ जिसमें कई छात्रों
के नाम सामने आए। हालांकी दो साल पहले
ही हाईकोर्ट ने114 फर्जी डॉक्टरों के
एडमिशन निरस्त करने की बात कहीं
थी। मेडिकल के पीजी
पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए व्यापमं द्वारा प्री-
पीजी टेस्ट लिया जाता है, इसमें
भी 16 मेडिकल छात्रों ने गलत तरीके
से परीक्षा पास की थी।
इनके भी एडमिशन रद्द होने के बाद हाईकोर्ट ने
निष्ठा अग्रवाल की पिटीशन पर व्यापमं
को निर्देश दिए थे कि पुन: इन मामलों की जांच कर
फैसला लिया जाए।