नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को
लोगों को 31 मार्च तक 500-1000 रुपए के पुराने नोट डिपॉजिट
करने का मौका नहीं देने पर केंद्र सरकार और रिजर्व
बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई)को नोटिस जारी
किया है। मामले की अगली सुनवाई 11
अप्रैल को होगी। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी
के बाद जो लोग 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं
कर पाए उनके लिए एक अलग से कैटेगरी क्यों
नहीं बनाई गई। कोर्ट ने पीएम
की स्पीच का हवाला दिया...
- चीफ जस्टिस जगदीश सिंह
खेहर,जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय
किशन कौल की बेंच ने इसके लिए नरेंद्र
मोदी की स्पीच का हवाला दिया।
बेंच ने कहा कि 8 नंवबर को पीएम ने कहा था कि
वैल्ड रीजन के साथ कोई भी शख्स 30
दिसंबर के बाद 31 मार्च 2017 तक पुराने नोटों को डिपाजिट कर
सकता है।
-कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत आपके पास अधिकार होने के बाद
भी सरकार ने उन लोगों के लिए कैटेगरी
क्रिएट नहीं की,जो 30 दिसंबर 2016
तक पुराने नोट डिपॉजिट नहीं कर पाए थे।
सरकार को जवाब देने के लिए दिए दो हफ्ते
-कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया।
कोर्ट ने कहा,‘एक सेपरेट विंडो(कानून के तहत)देने के ऑप्शन
पर काम क्यों नहीं किया गया। आपके पास 20 वजह
हो सकती हैं।’
-कोर्ट ने कहा-"जैसा कि अटॉर्नी जनरल मुकुल
रोहतगी ने बेंच को बताया कि पार्लियामेंट ने सरकार को
ऑप्शन दिया था,लेकिन उसने इस पर काम नहीं किया।
क्या वजहें हैं कि सरकार ने इस ऑप्शन पर काम करना उचित
नहीं समझा।"
सरकार-आरबीआई पर वादाखिलाफी का
आरोप
-सुप्रीम कोर्ट में उस याचिका पर सुनवाई हो
रही है,जिसमें सरकार पर वादाखिलाफी का
आरोप लगाया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि
नोटबंदी का एलान करते वक्त पीएम नरेंद्र
मोदी ने 31 मार्च तक 500-1000 रुपए के नोट जमा
करने का मौका देने का वादा किया था।
-हालांकि,सरकार और आरबीआई ने 30 दिसंबर के बाद
पुराने नोट डिपॉजिट करने पर रोक लगा दी।
8 नवंबर को किया था नोटबंदी का एलान
-नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने
नोट बंद करने का एलान किया था। इस दौरान कहा था कि आम लोग
30 दिसंबर तक ये नोट जमा कर सकते हैं। इसके बाद
आरबीआई ने कहा था कि इन नोटों को 31 मार्च तक
आरबीआई में जमा किया जा सकेगा। लेकिन यह
भी बताना होगा कि यह रकम अब तक जमा क्यों
नहीं की गई थी?बैंक उसके
जवाब से संतुष्ट होगा,तभी रकम जमा की
जाएगी।
लोगों को 31 मार्च तक 500-1000 रुपए के पुराने नोट डिपॉजिट
करने का मौका नहीं देने पर केंद्र सरकार और रिजर्व
बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई)को नोटिस जारी
किया है। मामले की अगली सुनवाई 11
अप्रैल को होगी। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी
के बाद जो लोग 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं
कर पाए उनके लिए एक अलग से कैटेगरी क्यों
नहीं बनाई गई। कोर्ट ने पीएम
की स्पीच का हवाला दिया...
- चीफ जस्टिस जगदीश सिंह
खेहर,जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय
किशन कौल की बेंच ने इसके लिए नरेंद्र
मोदी की स्पीच का हवाला दिया।
बेंच ने कहा कि 8 नंवबर को पीएम ने कहा था कि
वैल्ड रीजन के साथ कोई भी शख्स 30
दिसंबर के बाद 31 मार्च 2017 तक पुराने नोटों को डिपाजिट कर
सकता है।
-कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत आपके पास अधिकार होने के बाद
भी सरकार ने उन लोगों के लिए कैटेगरी
क्रिएट नहीं की,जो 30 दिसंबर 2016
तक पुराने नोट डिपॉजिट नहीं कर पाए थे।
सरकार को जवाब देने के लिए दिए दो हफ्ते
-कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया।
कोर्ट ने कहा,‘एक सेपरेट विंडो(कानून के तहत)देने के ऑप्शन
पर काम क्यों नहीं किया गया। आपके पास 20 वजह
हो सकती हैं।’
-कोर्ट ने कहा-"जैसा कि अटॉर्नी जनरल मुकुल
रोहतगी ने बेंच को बताया कि पार्लियामेंट ने सरकार को
ऑप्शन दिया था,लेकिन उसने इस पर काम नहीं किया।
क्या वजहें हैं कि सरकार ने इस ऑप्शन पर काम करना उचित
नहीं समझा।"
सरकार-आरबीआई पर वादाखिलाफी का
आरोप
-सुप्रीम कोर्ट में उस याचिका पर सुनवाई हो
रही है,जिसमें सरकार पर वादाखिलाफी का
आरोप लगाया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि
नोटबंदी का एलान करते वक्त पीएम नरेंद्र
मोदी ने 31 मार्च तक 500-1000 रुपए के नोट जमा
करने का मौका देने का वादा किया था।
-हालांकि,सरकार और आरबीआई ने 30 दिसंबर के बाद
पुराने नोट डिपॉजिट करने पर रोक लगा दी।
8 नवंबर को किया था नोटबंदी का एलान
-नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने
नोट बंद करने का एलान किया था। इस दौरान कहा था कि आम लोग
30 दिसंबर तक ये नोट जमा कर सकते हैं। इसके बाद
आरबीआई ने कहा था कि इन नोटों को 31 मार्च तक
आरबीआई में जमा किया जा सकेगा। लेकिन यह
भी बताना होगा कि यह रकम अब तक जमा क्यों
नहीं की गई थी?बैंक उसके
जवाब से संतुष्ट होगा,तभी रकम जमा की
जाएगी।