भोपाल
बजट प्रदेश की आर्थिक एवं वित्तीय स्थिति का ऐसा आईना बने जिसमें आम जनता अपना आर्थिक चेहरा देख सके। यह बात विचार मध्य प्रदेश की कोर ग्रुप की बैठक में निकल कर आई। बैठक में पूर्व विधायक श्री पारस सकलेचा,आरटीआई एक्टिविस्ट श्री विनायक परिहार (नरसिंहपुर), सामाजिक कार्यकर्ता श्री अक्षय हुंका एवं श्री नीलू अग्रवाल (रतलाम) शामिल हुए।
जनता की भावना और राय को बजट निर्माण में रखा जाना चाहिए, लेकिन 2017-18 के बजट में किसी भी प्रकार की राय किसी भी वर्ग से नहीं ली गयी। किसानों, युवाओं, महिलाओं, मजदूरों, असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों,उद्योगपतियों, बुद्धिजीवियों, किसी की राय लिए बिना मात्र अधिकारियों से निर्मित किया बजट प्रदेश का आईना कैसे हो सकता है? इसी कारण अर्थव्यवस्था में उच्च विकास दर के आंकड़ों के बाद भी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि परिलक्षित नहीं हो रही है तथा आम जनता के जीवन स्तर में समुचित विकास नजर नहीं आता है।
कोर ग्रुप ने यह भी पाया कि बजट निर्माण में किसानों के हित संरक्षण के लिए जो योजना बनाई जाती है उसको स्वरूप देते वक्त मौसम, राष्ट्रीय और अंतर-राष्ट्रीय बाजार की संभावित हलचल का ध्यान नहीं रखा जाता है और उस ही के परिणामस्वरूप बजट में किसान कल्याण पर खर्च की गयी राशि का समुचित लाभ किसानों को नहीं मिल पाता।
पिछले वर्षों से निरंतर यह परंपरा बन रही है कि बजट में प्रावधान न होने पर भी उन मदों में हजारों करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। अनावश्यक ऋण लेकर ब्याज का बोझ बढ़ाया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा राजकोषीय उधार की सीमा को 3.5 प्रतिशत तक किए जाने का अनुचित फायदा आर्थिक प्रबंधन की विफलता है। मानव संसाधन का विकास, जीवनांक में वृद्धि, महिलाओं की सभी क्षेत्रों में भागीदारी, प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद पर आय की वृद्धि को पिछले सालों के बजट से अनदेखा किया जा रहा है।
कोर ग्रुप ने तय किया कि शासन के 2017-18 के बजट का गहन विश्लेषण पिछले दस सालों के बजट के परिपेक्ष्य में किया जाए और जनता को यह बताया जाये कि बजट में जो टारगेट तय किए गए थे उनकी प्राप्तियाँ किस हद तक रहीं।