लखनऊ. सपा में चल रहे सिंबल विवाद मामले में
इलेक्शन कमीशन ने अखिलेश यादव के पक्ष में
फैसला सुनाया है। अखिलेश को पार्टी का
राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लिया गया है। साथ ही
साइकिल सिंबल भी उन्हीं को दिया है। इस फैसले
के बाद सीएसडीएस के
लिए काम करने वाले पॉलिटिकल साइंस के
प्रोफेसर एके वर्मा,सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप
कपूर,योगेश श्रीवास्तव और श्रीधर अग्निहोत्री ने
बताया कि मुलायम के पास अब क्या
रास्ते बचे हैं। साथ ही अखिलेश को अब कितना
फायदा होगा।
#फॉर्मूला नंबर 1-जिससे बनी रह सकती है
मुलायम की इमेज
-एक्सपर्ट्स का कहना है कि इलेक्शन कमीशन के इस
फैसले के बाद मुलायम को अपने 6 दशक के करियर में
सबसे बड़ा झटका लगा है।
-उनके पास एक रास्ता है कि अब वे अपने समर्थकों
से कहें कि वे बूढ़े हो गए हैं। पार्टी और सिंबल
अखिलेश को मिल गया है।
-ऐसे में समर्थक अखिलेश को सपोर्ट करें,ताकि
पार्टी भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में वापस
आए।
-ये हो सकता है कि अब मुलायम खुद को पार्टी के
मार्गदर्शक मंडल दल का अध्यक्ष मानकर अखिलेश
के साथ चुनाव में जाएं।
#फॉर्मूला नंबर 2-इस कदम से अपनी इमेज को
नुकसान पहुंचाएंगे मुलायम
-मुलायम के पास दूसरा रास्ता ये है कि वह नए
सिंबल पर चुनाव में उतरें। हालांकि,वह खुद चुनाव
लड़ने जैसा खतरनाक कदम नहीं उठाएंगे। शिवपाल
गुट के नेताओं को लेकर वह चुनाव में जा सकते हैं।
-हालांकि,इससे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं
होगा क्योंकि यूपी में मुलायम बेल्ट के लगभग 10
जिले हैं। इसमें
इटावा,मैनपुरी,एटा,कासगंज,बदायूं,कन्नौज,औरैया,
और आजमगढ़ जैसे जिले शामिल हैं। 2012 में सपा ने
इन 10 जिलों की 42 सीटों में से 36 सीटें जीती
थीं।
-इस समय अखिलेश का ग्राफ बढ़ा है। ऐसे में इन
सीटों पर मुलायम सिंह ज्यादा से ज्यादा 8 से 10
सीट जीत सकते हैं। वहीं,बाकी सीटें अखिलेश के
ही खाते में जाएगी।
-अगर मुलायम लोकदल के सिंबल पर चुनाव में जाते
हैं तो भी मुलायम के नाम पर ज्यादा से ज्यादा 3
से 5 सीटें मिलेंगी।
-दरअसल,लोकदल कभी वेस्ट यूपी की प्रभावी
पार्टी थी,लेकिन अब अजीत सिंह की रालोद के
आगे उसका दबदबा खत्म हो गया है। मुलायम के
नाम पर ही ये सीट आ सकती हैं।
#अखिलेश को क्या होगा फायदा?
-अखिलेश को सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा कि
सपा का जो परंपरागत वोटर है,उसका कन्फ्यूजन
खत्म हो गया है। ऐसे में वह साइकिल के सिंबल को
ही देखकर वोट करेगा।
-अखिलेश सरकार की 5 साल क
इलेक्शन कमीशन ने अखिलेश यादव के पक्ष में
फैसला सुनाया है। अखिलेश को पार्टी का
राष्ट्रीय अध्यक्ष मान लिया गया है। साथ ही
साइकिल सिंबल भी उन्हीं को दिया है। इस फैसले
के बाद सीएसडीएस के
लिए काम करने वाले पॉलिटिकल साइंस के
प्रोफेसर एके वर्मा,सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप
कपूर,योगेश श्रीवास्तव और श्रीधर अग्निहोत्री ने
बताया कि मुलायम के पास अब क्या
रास्ते बचे हैं। साथ ही अखिलेश को अब कितना
फायदा होगा।
#फॉर्मूला नंबर 1-जिससे बनी रह सकती है
मुलायम की इमेज
-एक्सपर्ट्स का कहना है कि इलेक्शन कमीशन के इस
फैसले के बाद मुलायम को अपने 6 दशक के करियर में
सबसे बड़ा झटका लगा है।
-उनके पास एक रास्ता है कि अब वे अपने समर्थकों
से कहें कि वे बूढ़े हो गए हैं। पार्टी और सिंबल
अखिलेश को मिल गया है।
-ऐसे में समर्थक अखिलेश को सपोर्ट करें,ताकि
पार्टी भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में वापस
आए।
-ये हो सकता है कि अब मुलायम खुद को पार्टी के
मार्गदर्शक मंडल दल का अध्यक्ष मानकर अखिलेश
के साथ चुनाव में जाएं।
#फॉर्मूला नंबर 2-इस कदम से अपनी इमेज को
नुकसान पहुंचाएंगे मुलायम
-मुलायम के पास दूसरा रास्ता ये है कि वह नए
सिंबल पर चुनाव में उतरें। हालांकि,वह खुद चुनाव
लड़ने जैसा खतरनाक कदम नहीं उठाएंगे। शिवपाल
गुट के नेताओं को लेकर वह चुनाव में जा सकते हैं।
-हालांकि,इससे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं
होगा क्योंकि यूपी में मुलायम बेल्ट के लगभग 10
जिले हैं। इसमें
इटावा,मैनपुरी,एटा,कासगंज,बदायूं,कन्नौज,औरैया,
और आजमगढ़ जैसे जिले शामिल हैं। 2012 में सपा ने
इन 10 जिलों की 42 सीटों में से 36 सीटें जीती
थीं।
-इस समय अखिलेश का ग्राफ बढ़ा है। ऐसे में इन
सीटों पर मुलायम सिंह ज्यादा से ज्यादा 8 से 10
सीट जीत सकते हैं। वहीं,बाकी सीटें अखिलेश के
ही खाते में जाएगी।
-अगर मुलायम लोकदल के सिंबल पर चुनाव में जाते
हैं तो भी मुलायम के नाम पर ज्यादा से ज्यादा 3
से 5 सीटें मिलेंगी।
-दरअसल,लोकदल कभी वेस्ट यूपी की प्रभावी
पार्टी थी,लेकिन अब अजीत सिंह की रालोद के
आगे उसका दबदबा खत्म हो गया है। मुलायम के
नाम पर ही ये सीट आ सकती हैं।
#अखिलेश को क्या होगा फायदा?
-अखिलेश को सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा कि
सपा का जो परंपरागत वोटर है,उसका कन्फ्यूजन
खत्म हो गया है। ऐसे में वह साइकिल के सिंबल को
ही देखकर वोट करेगा।
-अखिलेश सरकार की 5 साल क