जबलपुर। महिला एसडीएम से इश्क करना कम्प्यूटर ऑपरेटर को भारी पड़ गया। महिला अफसर ने जब शादी को अनुरोध किया तो युवक ने मना कर दिया। इससे गुस्साई एसडीएम ने युवक पर उत्पीड़न के आरोप लगा दिए। इस चक्कर में उसकी नौकरी भी चली गई और उत्पीड़न के आरोप में जेल की सजा भी काटना पड़ी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया और हाईकोर्ट ने भी कलेक्टर को युवक को नौकरी पर वापस रखने के निर्देश दिए। मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा। जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई। नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश
जबलपुर।
महिला एसडीएम से इश्क करना कम्प्यूटर ऑपरेटर को भारी पड़ गया। महिला अफसर
ने जब शादी को अनुरोध किया तो युवक ने मना कर दिया। इससे गुस्साई एसडीएम ने
युवक पर उत्पीड़न के आरोप लगा दिए। इस चक्कर में उसकी नौकरी भी चली गई और
उत्पीड़न के आरोप में जेल की सजा भी काटना पड़ी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने
उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया और हाईकोर्ट ने भी कलेक्टर को युवक को नौकरी
पर वापस रखने के निर्देश दिए।
मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा।
जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा।
जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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जबलपुर।
महिला एसडीएम से इश्क करना कम्प्यूटर ऑपरेटर को भारी पड़ गया। महिला अफसर
ने जब शादी को अनुरोध किया तो युवक ने मना कर दिया। इससे गुस्साई एसडीएम ने
युवक पर उत्पीड़न के आरोप लगा दिए। इस चक्कर में उसकी नौकरी भी चली गई और
उत्पीड़न के आरोप में जेल की सजा भी काटना पड़ी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने
उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया और हाईकोर्ट ने भी कलेक्टर को युवक को नौकरी
पर वापस रखने के निर्देश दिए।
मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा।
जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा।
जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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जबलपुर।
महिला एसडीएम से इश्क करना कम्प्यूटर ऑपरेटर को भारी पड़ गया। महिला अफसर
ने जब शादी को अनुरोध किया तो युवक ने मना कर दिया। इससे गुस्साई एसडीएम ने
युवक पर उत्पीड़न के आरोप लगा दिए। इस चक्कर में उसकी नौकरी भी चली गई और
उत्पीड़न के आरोप में जेल की सजा भी काटना पड़ी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने
उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया और हाईकोर्ट ने भी कलेक्टर को युवक को नौकरी
पर वापस रखने के निर्देश दिए।
मामला शहडोल के जयसिंहनगर में एसडीएम रहीं महिला अफसर और कंप्यूटर ऑपरेटर ऋषिकेश मिश्रा का है। 2011 में जयसिंहनगर में महिला एसडीएम को पदस्थ किया गया। इसी साल ऋषिकेश की नियुक्ति कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में हुई। कुछ दिनों बाद दोनों की घनिष्ठता बढ़ती गई और प्रेम-प्रसंग शुरू हो गया। 2014 में महिला एसडीएम का ट्रांसफर रीवा हो गया तो भी ऋषिकेश उससे मिलने जाता रहा।
जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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जब प्रेम परवान चढ़ने लगा तो एक दिन महिला अधिकारी ने युवक के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया लेकिन युवक ने सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला देकर ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस कारण 26 अगस्त 2015 को महिला अधिकारी ने उस पर उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। फलस्वरूप उसे दो महीने जेल में भी बिताने पड़े। इन्हीं आरोपों के चलते उसकी नौकरी भी चली गई।
नारी उत्पीड़न के आरोप में 2 महीने जेल में रहा, अंतत: बरी हुआ
महिला अधिकारी ने नारी उत्पीड़न का केस रजिस्टर्ड करवाया तो याचिकाकर्ता को दो महीने जेल में रहना पड़ा। 22 सितंबर 2016 को ट्रायल कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया तो उसने वापस नौकरी ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, उसे वापस नौकरी पर नहीं रखा गया जिस कारण उसने दिसंबर 2016 में उसने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए निर्देश
हाईकोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ऋषिकेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। अधिवक्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पैरवी की और कहा कि बेरोजगार हुए कंप्यूटर ऑपरेटर को दोबारा नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मजबूत आधार मानते हुए शहडोल कलेक्टर को दोबारा ऋषिकेश मिश्रा को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर रखने का निर्देश दिया।
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