पटना. यहां शनिवार शाम गंगा नदी के
एनआईटी घाट के पास एक नाव पलट जाने से उस
पर सवार 25 लोगों की मौत हो गई। जो लोग बच गए
या बचा लिए गए,उन्होंने
सभी के आंखों में आंसू दिखे। एक बुजुर्ग ने कहा
कि उनकी पोती का हाथ कब उनके
हाथ से छूट गया पता ही नहीं चला। वो
आधे घंटे तक रेस्क्यू के लिए फेंकी गई
रस्सी पकड़कर बच्ची का नाम पुकारते
रहे। उधर,कोई अपने बेटे के बारे में पूछताछ करता दिखा। जानिए
लोगों ने क्या बताई आपबीती...
#1 नाव चलाने वाला मना करता रहा,लोग उसे डांटकर चढ़ते
गए
-हादसे से बचकर निकले रतनलाल ने बताया कि शाम के
करीब 5 बज रहे थे। लोगों का गांधी घाट
से लगातार आना जारी था।
-मुझे लगा अंधेरा होने से पहले घर पहुंच जाना चाहिए। ठंड
भी बहुत थी। बच्ची को
लेकर चिंता थी। लेकिन वह आना नहीं
चाह रही थी।
-डिजनीलैंड से निकलना ही
नहीं चाह रही थी। पांच
बजे हमलोग जाने को तैयार हो गए। कार्यक्रम स्थल पर
भीड़ अधिक थी।
-कुछ देर तक घाट के किनारे नाव का इंतजार किया। लेकिन नाव
आने की गुंजाइश नहीं दिख
रही थी।
-इसके बाद वहां मौजूद लोग दूसरी ओर खेत से
होकर कार्यक्रम स्थल से दूर जाने लगे। लोगों ने कहा उधर नाव
लगी हुई है।
-हम लोग भी अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे। वहां
पहले से ही 40-50 लोग मौजूद थे। नाव पर
लदी सब्जियां भी लोगों ने घाट पर
ही उतार दी।
-सौ से अधिक लोग नाव पर सवार हो गए। मैं भी
किसी तरह अपनी पोती
और दोनों महिलाओं के साथ नाव पर सवार हो गया।
-नाविक लगातार मना कर रहा था कि अब कोई नहीं
चढ़िए। लेकिन किसी ने उसकी
चेतावनी को गंभीरता से
नहीं लिया।
-न ही मौके पर कोई पुलिस वाला था जो लोगों को
रोकता-टोकता। लोगों ने नाविक को ही डांट-डपट कर
चुप करा दिया।
पहली बार में नाव आगे नहीं बढ़
सकी
-रतनलाल ने बताया कि नाव चलाने वाले ने जेनरेटर स्टार्ट
किया,लेकिन पहली बार में नाव आगे
नहीं बढ़ सकी। एक बार फिर उसने
लोगों से कहा कि वजन अधिक हो गया है।
-कुछ लोग उतर जाइए। लेकिन किसी ने
उसकी एक नहीं सुनी।
आखिरकार नाव वहां से दूसरी बार में चल
पड़ी। नाव एक ओर झुक रही
थी।
-इस पर नाव चलाने वाले ने कहा भी कि कुछ लोग
बीच में आ जाइए। नाव एक तरफ से ज्यादा
भारी हो रही है। नाव लगातार एक
तरफ झुक रही थी।
-अभी नाव घाट से दूर गई होगी कि बाएं
तरफ काफी झुक गई। पानी नाव के
ऊपर से अंदर आने लगा।
-तब अचानक से लोग एक किनारे से बीच में आने
लगे। इस बीच नाव पर ही अफर
एनआईटी घाट के पास एक नाव पलट जाने से उस
पर सवार 25 लोगों की मौत हो गई। जो लोग बच गए
या बचा लिए गए,उन्होंने
सभी के आंखों में आंसू दिखे। एक बुजुर्ग ने कहा
कि उनकी पोती का हाथ कब उनके
हाथ से छूट गया पता ही नहीं चला। वो
आधे घंटे तक रेस्क्यू के लिए फेंकी गई
रस्सी पकड़कर बच्ची का नाम पुकारते
रहे। उधर,कोई अपने बेटे के बारे में पूछताछ करता दिखा। जानिए
लोगों ने क्या बताई आपबीती...
#1 नाव चलाने वाला मना करता रहा,लोग उसे डांटकर चढ़ते
गए
-हादसे से बचकर निकले रतनलाल ने बताया कि शाम के
करीब 5 बज रहे थे। लोगों का गांधी घाट
से लगातार आना जारी था।
-मुझे लगा अंधेरा होने से पहले घर पहुंच जाना चाहिए। ठंड
भी बहुत थी। बच्ची को
लेकर चिंता थी। लेकिन वह आना नहीं
चाह रही थी।
-डिजनीलैंड से निकलना ही
नहीं चाह रही थी। पांच
बजे हमलोग जाने को तैयार हो गए। कार्यक्रम स्थल पर
भीड़ अधिक थी।
-कुछ देर तक घाट के किनारे नाव का इंतजार किया। लेकिन नाव
आने की गुंजाइश नहीं दिख
रही थी।
-इसके बाद वहां मौजूद लोग दूसरी ओर खेत से
होकर कार्यक्रम स्थल से दूर जाने लगे। लोगों ने कहा उधर नाव
लगी हुई है।
-हम लोग भी अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे। वहां
पहले से ही 40-50 लोग मौजूद थे। नाव पर
लदी सब्जियां भी लोगों ने घाट पर
ही उतार दी।
-सौ से अधिक लोग नाव पर सवार हो गए। मैं भी
किसी तरह अपनी पोती
और दोनों महिलाओं के साथ नाव पर सवार हो गया।
-नाविक लगातार मना कर रहा था कि अब कोई नहीं
चढ़िए। लेकिन किसी ने उसकी
चेतावनी को गंभीरता से
नहीं लिया।
-न ही मौके पर कोई पुलिस वाला था जो लोगों को
रोकता-टोकता। लोगों ने नाविक को ही डांट-डपट कर
चुप करा दिया।
पहली बार में नाव आगे नहीं बढ़
सकी
-रतनलाल ने बताया कि नाव चलाने वाले ने जेनरेटर स्टार्ट
किया,लेकिन पहली बार में नाव आगे
नहीं बढ़ सकी। एक बार फिर उसने
लोगों से कहा कि वजन अधिक हो गया है।
-कुछ लोग उतर जाइए। लेकिन किसी ने
उसकी एक नहीं सुनी।
आखिरकार नाव वहां से दूसरी बार में चल
पड़ी। नाव एक ओर झुक रही
थी।
-इस पर नाव चलाने वाले ने कहा भी कि कुछ लोग
बीच में आ जाइए। नाव एक तरफ से ज्यादा
भारी हो रही है। नाव लगातार एक
तरफ झुक रही थी।
-अभी नाव घाट से दूर गई होगी कि बाएं
तरफ काफी झुक गई। पानी नाव के
ऊपर से अंदर आने लगा।
-तब अचानक से लोग एक किनारे से बीच में आने
लगे। इस बीच नाव पर ही अफर